Delhi Lawyer Killing: दिल्ली (Delhi) के द्वारका में शनिवार शाम 3 गोलियों ने आखिरकार एक वकील (Lawyer) की जान ले ली. 3 दशक से चली आ रही दुश्मनी का बदला ले लिया गया. दुश्मनी जो प्रदीप और वीरेंद्र के परिवार के बीच थी जिसकी नींव करीब 36 साल पहले पड़ी थी. जब 1987 में दिल्ली के ही सन्नोट गांव में वकील वीरेंद्र के दादा ने आरोपी प्रदीप के चाचा का मर्डर कर दिया था. शनिवार शाम को हुई वकील की हत्या के बाद पुलिस ने आस-पास के सीसीटीवी को खंगाला तो आरोपियों की पहचान प्रदीप और नरेश के तौर पर हुई. दोनों आरोपी सन्नोट गांव के रहने वाले हैं. बताया जा रहा है कि आपसी रंजिश के चलते प्रदीप शर्मा ने 2017 में भी वकील वीरेंद्र पर हमला किया था जिसमे वीरेंद्र बच गया था लेकिन उसका ड्राइवर गंभीर रूप से घायल हो गया था.


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वीरेंद्र का पीछा कर मारी गोली


इसके बाद वकील वीरेंद्र कुमार को दिल्ली पुलिस की तरफ से PSO भी मिला था, लेकिन कोविड-19 के दौरान उनकी सुरक्षा हटा दी गई थी. पुलिस को मिले सीसीटीवी में साफ देखा जा सकता है कि दोनों बाइक पर सवार होकर वीरेंद्र का पीछा कर रहे थे और मौका मिलते ही दोनों ने वीरेंद्र पर बेहद करीब से 3 गोलियां मारीं.


तीन दशक पुरानी दुश्मनी बनी वजह!


पुलिस भले ही इसे प्रॉपर्टी से जुड़ा आपसी रंजिश का मामला मान कर चल रही है लेकिन सूत्रों के मुताबिक, इस रंजिश की शुरुआत सन् 1987 में उस वक्त हुई थी जब वीरेंद्र के दादा रामस्वरूप ने प्रदीप के चाचा की हत्या कर दी थी. उस वक्त प्रदीप की उम्र महज 2 साल थी, लेकिन उसके बाद वीरेंद्र के दादा ने प्रदीप के दादा की भी हत्या कर दी थी.


बदला लेने के लिए शुरू की पहलवानी


वक्त के साथ प्रदीप जैसे-जैसे बड़ा हुआ, बदला लेने के मकसद से उसने पहलवानी भी शुरू कर दी. इस बीच प्रदीप के परिवार को मिलने वाले मुआवजे की रकम को वीरेंद्र ने कानूनी अड़चनों में फंसा दिया और जिसकी वजह से प्रदीप के परिवार की माली हालत बेहद खराब हो गई.


पुलिस के मुताबिक, आरोपी और मरने वाले दोनों दिल्ली के ही सन्नोट गांव के रहने वाले हैं. पहचान होने के बाद अब जल्द से जल्द पुलिस दोनों को गिरफ्तार कर लेगी. लेकिन तीन दशक पुरानी रंजिश इतना खौफनाक रूप लेगी किसी ने सोचा ना था.


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