नई दिल्ली: नए कृषि कानूनों (New Farm Law) के विरोध में दिल्ली की सीमाओं (Delhi Border) पर पिछले 38 दिनों से जारी प्रदर्शन कर रहे किसानों ने सरकार को सख्त चेतावनी जारी की है. शनिवार को बैठक करते हुए किसान संगठनों ने कहा कि यदि सरकार 4 जनवरी तक उनकी मांगों पर उचित फैसला नहीं लेती है तो उसके बाद की परिस्थितियों के लिए वही जिम्मेदार होगी. 


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किसान नेताओं ने अल्टीमेटम देते हुए कहा कि अगर 4 जनवरी को सरकार के साथ हमारी मांगों पर सहमत नहीं बनी तो 23 जनवरी को किसान बड़ा घेराव करेंगे. इसके साथ ही 26 जनवरी को बड़ी ट्रैक्टर परेड की जाएगी. हालांकि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आश्वासन दिया है कि अगली बैठक में खेती और किसानों के हित में फैसला हो जाएगा. बताते चलें कि 4 जनवरी को सरकार के साथ होने वाली 7वें दौर की वार्ता की रणनीति तय करने के लिए आज किसानों ने ये बैठक की थी. 


'2 कानूनों पर अब भी सरकार से बहस जारी'


सिंघु बॉर्डर पर कल आयोजित हुई एक संयुक्त प्रेस वार्ता में स्वराज इंडिया संगठन के नेता योगेंद्र यादव ने कहा था कि हमारे दो कानून पर सरकार अभी तक टस से मस नहीं हुई है. इसलिए अब आंदोलन (Farmers Protest) को तेज किया जाएगा. सरकार के साथ 4 जनवरी को वार्ता है. यदि उसमें सकारात्मक परिणाम नहीं निकलते हैं तो 6 जनवरी से 20 जनवरी तक देश में जागृति अभियान चलाया जाएगा. 


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'नेताजी की जयंती पर किसान करेंगे कार्यक्रम'


दरसअल, 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर पूरे देश में कार्यक्रम किया जाएगा. अब यूपी के शाहजहांपुर में भी किसान मोर्चा लगाया जाएगा. गुजरात में और उत्तर प्रदेश में भी सरकारों ने कानून को ताक पर रखा हुआ है. हम गुजरात के साथियों के संपर्क में हैं. सरकार की ऐसी हालत हो गई है कि इन्हें किसानों का समर्थन जताने के लिए एक भी असली किसान नहीं मिलता.'


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'आंदोलन को आगे बढ़ाने के अलावा कोई चारा नहीं'


गौरतलब है कि शुक्रवार को किसान नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि यदि सरकार ने उनकी मांगे नहीं मानी तो देशभर में ट्रैक्टर मार्च निकाला जाएगा. सरकार ने किसानों के उठाए मुद्दों में से केवल 5 पर्सेंट पर डिस्कसन किया है. बाकी मुद्दों पर सरकार बात ही नहीं कर रही है. ऐसे में आंदोलन (Farmers Protest) को आगे बढ़ाने के अलावा कोई और चारा नहीं है. 


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