Delhi Haj House Dispute: पिछले 13 साल से धधक रही विरोध की चिंगारी, पूर्व सीएम शीला ने किया था शिलान्यास
दिल्ली (Delhi) के द्वारका (Dwarka) में बनने वाले हज हाउस को लेकर लोगों का विरोध 13 साल पुराना है. आसपास के गांव वालों का आरोप है कि उनसे विकास के नाम पर जमीन ली गई थी. जिसे बाद में हज हाउस के लिए दे दिया गया.
दीक्षा पांडेय, दिल्ली: दिल्ली (Delhi) के द्वारका (Dwarka) में बनने वाले हज हाउस को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. विश्व हिंदू परिषद (VHP) में साफ चेतावनी दी है कि वह द्वारका में हज हाउस नहीं बनने देगी.
6 अगस्त को लोगों ने किया था प्रदर्शन
VHP ने 6 अगस्त को द्वारका सेक्टर 22 में बीजेपी और आसपास के गांव वालों के साथ पंचायत कर विरोध प्रदर्शन किया था. भीड़ ने सेक्टर 22 की तक़रीबन 5000 वर्ग फ़ीट की ज़मीन पर हज भवन (Delhi Haj House Dispute) के निर्माण पर नाराजगी जाहिर की. सवाल उठता है कि हज हाउस के निर्माण से आसपास रहने वाले लोगों को आखिर क्या दिक्कत हो सकती है. बीजेपी और वीएचपी को आखिरकार हज भवन के निर्माण का प्रस्ताव क्यों रास नही आ रहा.
क्या है हज पर मचे बवंडर की वजह?
इस पूरे विवाद की शुरुआत साल 2008 में हुई. जब दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय शीला दीक्षित ने द्वारका सेक्टर 22 की एक बड़ी जमीन पर हज हाउस (Haj House) के निर्माण का ऐलान किया. शिलान्यास के लिए शीला दीक्षित लोकेशन पर पहुंची लेकिन 7 मिनट से ज्यादा देर रुक नही सकीं. प्रस्तावित योजना का शिलान्यास भी हुआ मगर पूर्व मुख्यमंत्री वहां मौजूद ग्रामीणों की नाराज़गी नहीं झेल सकीं और उन्हें तुरंत ही वहां से जाना पड़ गया. उनके जाते ही नाराज ग्रामीणों ने फाउंडेशन स्टोन को गिराकर उसके टुकड़े टुकड़े कर दिए.
ग्रामीणों का आरोप, डीडीए ने किया विश्वासघात
जुलाई, साल 2002 में दिल्ली डेवलपमेंट अथॉरिटी ने विकास कार्य के नाम द्वारका के भरथल गांव की जमीन का अधिग्रहण किया था. करीब 6 साल बाद वर्ष 2008 में पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने डीडीए से जमीन लेकर उस पर हज हाउस (Haj House) के निर्माण का ऐलान कर दिया. डेवलपमेंट के नाम पर ली गई जमीन का इस्तेमाल किसी एक समुदाय के लिए इस्तेमाल होते देख ग्रामीणो ने तत्कालीन सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाते हुए जमकर विरोध किया. उसके बाद से इस जमीन पर हज हाउस (Haj House) के निर्माण के लिए एक ईंट तक नही रखी गई.
13 साल बाद क्यों उठा विवाद का गुब्बार?
हाल ही में दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने हज हाउस के निर्माण के लिए 1 अरब रुपये का बजट अलॉट किया. जिस पर नाराजगी जताते हुए 'ऑल द्वारका रेज़ीडेंट फेडरेशन' ने 3 अगस्त 2021 को उपराज्यपाल को चिठ्ठी लिखकर हज हाउस की जमीन के अलॉटमेंट को रद्द करने की मांग की. उनको चिट्ठी लिखने का कारण ये था कि उपराज्यपाल ही डीडीए के चेयरमैन का भी पदभार संभालते हैं. लेफ्टिनेंट गवर्नर को लिखी चिट्ठी के मुताबिक द्वारका (Dwarka) में इस हज हाउस (Haj House) के निर्माण से वहां सांप्रदायिक साम्प्रदायिक झगड़े बढ़ सकते हैं.
हो सकते हैं शाहीनबाग जैसे हालात
लोगों का कहना है कि इस जमीन के आसपास 15 से 16 गांव हैं, जो हिन्दू बाहुल्य हैं. ऐसे में उनका रहन सहन, खान पान और संस्कृति एक दूसरे से बिल्कुल उलट होगी. फेडरेशन के प्रेजिडेंट अजीत स्वामी के मुताबिक हज हाउस (Haj House) बनने से द्वारका में भी शाहीनबाग और ज़ाफराबाद जैसे हालत पैदा होंगे. जिससे यहां दंगे और हिन्दुओं का पलायन होगा. फेडरेशन' ने दिल्ली सरकार को टर्मिनल 3 पर पहले से चल रहे हज हाउस को और बेहतर तरीके से विकसित करने की सलाह दी है.
बीजेपी और वीएचपी का बीपी हाई
बीजेपी इस मुद्दे पर दिल्ली (Delhi) की केजरीवाल सरकार पर पूरी तरह हमलावर है और उस पर तुष्टिकरण का आरोप लगा रही है. बीजेपी का कहना है कि दिल्ली के टैक्सपेयर्स का पैसा केजरीवाल सरकार एक समुदाय को खुश करने के लिए खर्च कर रही है. बीजेपी ने दिल्ली सरकार पर तंज कसते हुए कहा कि दिल्ली वक़्फ बोर्ड की जमीन का इस्तेमाल हज भवन के निर्माण के लिये होना चाहिये. पार्टी ने इस जमीन पर स्कूल, कॉलेज और अस्पताल बनाने की मांग की.
उधर वीएचपी ने भी प्रस्तावित जमीन पर हज हाउस (Haj House) के निर्माण का आगे भी विरोध करने का फैसला किया है. वीएचपी का आरोप है कि दिल्ली (Delhi) सरकार साम्प्रदायिक झगड़ों की समर्थक और हिन्दू विरोधी है. परिषद ने दिल्ली सरकार से मांग की कि उसे अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए.
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ताज़ा हालात क्या हैं?
प्रस्तावित हज हाऊस का विवादित प्लॉट पूरी तरह से खाली पड़ा है. प्लॉट के बीच में टूटी हुई काले रंग की शिला पड़ी है. फिलहाल दिल्ली सरकार भी विरोध को देखते हुए बैकफुट पर है. हज हाउस के निर्माण को लेकर सरकार की तरफ से कोई ताजा बयान सामने नहीं आया है. वहीं बीजेपी इस पूरे मसले को जमकर भुनाने में लगी है.
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