सुमन अग्रवाल, नई दिल्‍ली: जहां एक ओर कई राज्यों में प्रधानमंत्री की मुद्रा लोन योजना फेल होती नजर आ रही है, बैंकों का एनपीए बढ़ता जा रहा है, लोग लोन लेकर उसे सही समय पर चुकाने में नाकाम हो रहे हैं. वहीं दिल्ली के शाहदरा में मुद्रा लोन की एक अलग ही तस्वीर देखने को मिली है. यहां की बस्तियों में से 122 परिवारों ने मुद्रा लोन लिया और उसकी रीपेमेंट वक्त से भी कर रहे हैं और इस लोन ने उनकी जिंदगी ही बदल दी है. बैंक और उनके बीच का ये सफर इस इलाके में काम करने वाली संस्था सेवा भारती ने तय किया है और इसमें पंजाब नेशनल बैंक की बड़ी भूमिका रही है.


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इस संबंध में वेलकम कॉलोनी में रहने वाले और छोटी सी चाय की दुकान चलाने वाले सुमित का कहना है, "लोन क्या होता है और कैसे मिलेगा ये तो मैंने सपने में भी नहीं सोचा था. पहले तो छोटी सी नौकरी करके गालियां खाकर 5 हजार रुपए कमाता था, लेकिन कुछ नहीं होता था. अब अपना काम करके 10 हजार से ज्यादा कमाता हूं और खुशी से परिवार का पेट पालता हूं. इंश्योरेंस, कमिटी बच्चों की ट्यूशन सब करता हूं.''


इसी तरह रहमान कालोनी में रहने वाली रुक्सार का कहना है, ''मैं पहले घरों में काम करती थी लेकिन अब मैं सामान बेचकर अच्छा कमा लेती हूं और तीन बच्चों का पेट पालती हूं.'' वह पहले दूसरे घरों में काम करके तीन बच्चों का पेट पालती थीं. लेकिन अब पटरी पर साप्ताहिक बाजार में जाकर सामान बेचती हैं और महीने के 15 हजार रुपए कमा लेती हैं. 1000 हजार रुपए महीने के जमा भी करती हैं. इसने भी 20 हजार का लोन लिया था.


ऐसे बदली इनकी जिंदगी
प्रधानमंत्री की मुद्रा लोन योजना ने इस इलाके की कम से कम 10 बस्तियों में रहने वाले 122 परिवारों की जिंदगी बदल डाली. 5-50 हजार तक के लोन लेकर कुछ लोगों ने अपनी छोटी सी जूते कपड़े की दुकान खोली, किसी ने चाय की तो कोई ई-रिक्शा चला रहा है. इन बस्तियों में ज्यादातर बीपीएल कार्ड धारक ही रहते हैं. जब इनसे बात की तो पता चला कि इन्हें लोन शब्द से ही डर लगता था लेकिन इस संस्था ने अपना हाथ आगे बढ़ाया और पीएनबी से इन्हें मुद्रा लोन दिलाने का प्रयास किया. दरअसल, इस इलाके में लोगों के पास रोजगार की कमी है. सबसे बड़ी बात ये रोजाना कुछ लोगों से दिन के 1 हजार काम के लिए लेते हैं तो इन्हें शाम तक 10 फीसदी ब्याज के साथ 1100 रुपए देने होते हैं.


सेवा भारती संस्था के संचालक सुशील गुप्ता का कहना है लोगों में रोजगार पैदा हो वे खुद का काम कर सके ये हमारी संस्था का उद्देश्‍य था और इसलिए हम बैंक और इनके बीच ब्रिज बने. सबसे अच्छी बात अब ये पहले से ज्यादा कमाते हैं और वक्त से पहले कई बार रीपेमेंट भी कर देते हैं. हमें बैंक से कभी कोई शिकायत नहीं मिलती और 8 महीने के भीतर 122 परिवार के लोग अपना रोजगार कर रहे हैं. हमने बस इनके आधार और कुछ कागजात बैंक को दिए."


जहां दूसरे बैंकों में मुद्रा लोन की स्थिति नाजुक है वहीं शाहदरा के पंजाब नेशनल बैंक ने इस मामले में बाजी मार ली है. पिछले कुछ सालों में इस इलाके के पीएनबी बैंक में मुद्रा लोन योजना में 95 फीसदी ग्रोथ दिखी है और सबसे ज्यादा रीपमेंट हुई है. इस बैंक में मुद्रा लोन की शिशु कैटेगरी में सबसे ज्यादा लोन गए हैं. जो 5 से 50 हजार के बीच हैं और इसमें सिक्योरिटी की कोई बात नहीं है. ब्रांच के सीनियर मैनेजर का कहना है कि मेरे इस बैंक के ब्रांच में तीन बस्तियां आती हैं और कुल 45-50 लोगों ने लोन लिया था. 100 परसेंट रीपेमेंट होती है लोगों की. कुछ अगर इधर-उधर एक दो दिन हो भी जाता है तो हम बहुत कॉपोरेटिव तरीके से इसे संभालते हैं.