1984 दंगा: हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार पर लगाया जुर्माना, मुआवजे को लेकर दिया आदेश
Delhi High Court: न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा था कि पीड़ित ब्याज पाने का हकदार नहीं है. अपीलकर्ता ने दावा किया कि 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद शाहदरा स्थित उनके घर में तोड़फोड़ और लूटपाट की गई थी.
1984 Anti Sikh Riots: दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को केंद्र को 1984 के सिख विरोधी दंगों के एक पीड़ित को विलंबित मुआवजे पर ब्याज का भुगतान छह सप्ताह के भीतर करने का निर्देश दिया. न्यायालय ने कहा कि अपीलकर्ता और उसके परिवार को पहले दंगाइयों के हाथों और फिर “असंवेदनशील और कठोर” प्रशासन के कारण कष्ट सहना पड़ा.
25,000 रुपए का जुर्माना
अदालत ने कहा कि आठ अप्रैल 2016 को, जब 1 लाख रुपये की अनुग्रह राशि जारी की गई थी, तब से लेकर 16 जनवरी, 2006 को, जब पुनर्वास नीति की घोषणा की गई थी, तक की अवधि के लिए 10 प्रतिशत की वार्षिक दर से ब्याज का भुगतान किया जाएगा. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने एकल न्यायाधीश के आदेश के खिलाफ पीड़ित की अपील पर विचार करते हुए केंद्र सरकार पर 25,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया.
अपीलकर्ता ने क्या दावा किया
एकल न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा था कि पीड़ित ब्याज पाने का हकदार नहीं है. अपीलकर्ता ने दावा किया कि 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद शाहदरा स्थित उनके घर में तोड़फोड़ और लूटपाट की गई थी और उनके पिता ने पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई थी. जांच समिति ने अदालती आदेशों के अनुपालन में अपीलकर्ता के दावों की जांच करने के बाद 2015 में एक लाख रुपये की अनुग्रह राशि के भुगतान की सिफारिश की, जिसका भुगतान अंततः अप्रैल 2016 में किया गया.
पीठ में न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला भी शामिल थे.पीठ ने कहा कि हालांकि अनुग्रह राशि मंजूर करने वाली नीति में विलंबित भुगतान पर ब्याज का कोई घटक शामिल नहीं था, लेकिन उपयुक्त मामलों में अदालत द्वारा इसे प्रदान किया जा सकता है, क्योंकि 1984 के दंगा पीड़ितों के पुनर्वास के लिए लाई गई नीति को निरर्थक नहीं ठहराया जा सकता. agency input