Delhi: प्राइवेट स्कूलों की Annual Fees को लेकर High Court ने सुनाया फैसला, जानें पूरा मामला
Delhi High Court latest verdict on school fees: सुनवाई के दौरान जस्टिस जयंत नाथ ने माना कि दिल्ली सरकार के पास गैर-सहायता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों (Unaided Private Schools) द्वारा वार्षिक शुल्क और विकास शुल्क के संग्रह को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने का कोई अधिकार नहीं है.
नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट (High Court) ने राजधानी में गैर-सहायता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों (Unaided Private Schools) को उन छात्रों से एनुअल फीस (Annual Fees) और डेवलपमेंट चार्ज (Development Fee) लेने की इजाजत दे दी है जो कोरोना काल की वजह से पिछले साल 2020 से सिर्फ ट्यूशन शुल्क (Tution Fee) का भुगतान कर रहे थे.
सरकार का आदेश रद्द
सोमवार को सुनाए फैसले में अदालत ने दिल्ली सरकार के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें स्कूलों को पहले लॉकडाउन (Lockdown) के बाद ये फीस जमा करने से रोक दिया गया था. वहीं इस फैसले को तब तक जारी रखने के लिए कहा गया था जबतक स्कूलों में पहले की तरह व्यक्तिगत मौजूदगी के साथ पढ़ाई शुरू नहीं हो जाती.
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फैसले की बड़ी बात
सुनवाई के दौरान जस्टिस जयंत नाथ ने माना कि दिल्ली सरकार के पास निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों द्वारा वार्षिक शुल्क और विकास शुल्क के संग्रह को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंने ये भी कहा कि ये फैसला ऐसे स्कूलों के सामान्य कामकाज में बेतुकी बाधाएं पैदा कर सकता है.
हालांकि, ऑनलाइन क्लास (Online Class) के दौरान जिन सुविधाओं का इस्तेमाल नहीं हो रहा इसका ध्यान में रखते हुए, कोर्ट ने कहा कि इस मद में 15% की कटौती होगी क्योंकि स्कूल बंद होने से उनका खर्च बच रहा था. अदालत ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला भी दिया. वहीं इसके साथ कुछ निर्देश भी जारी किए जिए ताकि स्कूल इन मदों में होने वाली फीस वसूली के लिए बच्चों की पढ़ाई में कोई रुकावट न डालें.
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कमेटी की याचिका पर फैसला
हाईकोर्ट ने शिक्षा निदेशालय (DE) के बीते साल 18 अप्रैल और 28 अगस्त को जारी आदेशों में संबंधित हिस्से को अवैध मानते हुए निरस्त कर दिया. अदालत ने कहा कि स्कूलों को एनुअल चार्ज और डिवेलपमेंट फीस लेने से रोका जाना अवैध है जो डीएसई एक्ट (DSE Act) के नियमों के खिलाफ है. हाई कोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों की अनएडिड कमिटी की याचिका पर यह फैसला सुनाया.
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