दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे से हर साल बचेगी 32 करोड़ लीटर ईंधन, इतना कम होगा प्रदूषण
फिलहाल सड़क के रास्ते दिल्ली और मुंबई के बीच का सफर करने में 24 घंटे लगते हैं, लेकिन इस एक्सप्रेस-वे (Delhi-Mumbai Expressway) के बन जाने के बाद ये सफर इससे आधे समय में पूरा हो जाएगा और दोनों शहरों के बीच की दूरी 130 किलोमीटर तक कम हो जाएगी.
नई दिल्ली: कोई देश विकास के रास्ते पर कितनी तेजी से दौड़ रहा है. इसका पता इस बात से लगाया जा सकता है कि उस देश में कितनी तेजी से एक्सप्रेस-वे और हाईवे का निर्माण हो रहा है. आपको जानकर खुशी होगी कि इस मामले में भारत अब दुनिया के बड़े-बड़े देशों को टक्कर दे रहा है. अब आप जल्द ही दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों के बीच की दूरी सड़क के रास्ते सिर्फ 12 घंटे में तय कर पाएंगे.
साल 2023 तक पूरा हो जाएगा निर्माण
आज की तारीख में अगर कोई दिल्ली से मुंबई का सफर राजधानी एक्सप्रेस से भी तय करता है तो भी उसे कम से कम साढ़े 15 घंटे का समय लगता है, लेकिन साल 2023 तक आप दिल्ली से मुंबई की दूरी दोनों शहरों के बीच बन रहे एक्सप्रेस-वे के रास्ते सिर्फ 12 घंटे में तय कर पाएंगे. केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) इन दिनों दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे के निर्माण का निरीक्षण कर रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि देश के इस सबसे लंबे एक्सप्रेस-वे का निर्माण मार्च 2023 तक पूरा हो जाएगा.
6 राज्यों के बीच बेहतर होगी कनेक्टिविटी
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे की लंबाई 1 हजार 230 किलोमीटर होगी और ये एक्सप्रेस-वे 6 राज्यों दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात से होकर गुजरेगा. इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण पर 98 हजार करोड़ रुपये का खर्च आएगा. इस एक्सप्रेस-वे के बन जाने के बाद इन 6 राज्यों के अलग अलग शहरों के बीच कनेक्टिविटी बेहतर होगी और इससे देश की अर्थव्यवस्था को भी फायदा होगा.
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130 किमी कम हो जाएगी दिल्ली-मुंबई की दूरी
फिलहाल सड़क के रास्ते दिल्ली और मुंबई के बीच का सफर करने में 24 घंटे लगते हैं, लेकिन इस एक्सप्रेस के बन जाने के बाद ये सफर इससे आधे समय में पूरा हो जाएगा और दोनों शहरों के बीच की दूरी 130 किलोमीटर तक कम हो जाएगी. इस एक्सप्रेस-वे गति सीमा 120 किलोमीटर प्रति घंटा होगी.
85 करोड़ किलो कम पैदा होगी कार्बन डाई ऑक्साइड
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे बन जाने के बाद हर साल 32 करोड़ लीटर ईंधन की बचत होगी और 85 करोड़ किलोग्राम कार्बन डाई ऑक्साइड (CarbonDi Oxide) कम पैदा होगी. कार्बन उत्सर्जन में आने वाली ये कमी 4 करोड़ पेड़ लगाने के बराबर है. सबसे अच्छी बात ये है कि इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण के दौरान पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा. इसके लिए राजस्थान के मुकुंदरा नेशनल पार्क के नीचे 4 किलोमीटर लंबी एक सुरंग बनाई जाएगी, जो 8 लेन की होगी. चार किलोमीटर लंबी ऐसी ही एक सुरंग महाराष्ट्र के माथेरान इको सेंसिटिव जोन के नीचे भी बनाई जाएगी.
देश का सबसे लंबा एक्सप्रेस-वे
दिल्ली से मुंबई की दूरी भले ही 1000 किलोमीटर से ज्यादा हो, लेकिन इस सुपर फास्ट हाईवे से दिल्ली-मुंबई जाने में समय बहुत कम लगेगा. देश के राजधानी से देश की आर्थिक राजधानी की करीब 1400 किलोमीटर की दूरी अब केवल 12 घंटे में तय की जाएगी. पहले जहां दिल्ली से मुंबई जाने में 24 घंटे तक लग जाते थे और अब केवल 12 घंटे लगेंगे. ये सब दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे से मुमकिन होगा. साल 2019 में शुरू हुए दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे (Delhi Mumbai Expressway) मोदी सरकार की बड़ी महत्वकांक्षी योजनाओं में से एक है. 1380 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेस-वे पर 375 किलोमीटर की सड़क बनकर तैयार है. पूरी तरह तैयार हो जाने के बाद ये देश का सबसे लंबा एक्सप्रेस वे होगा.
8 लेन का है दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे
दिल्ली-मुंबई के बीच का एक्सप्रेस-वे 8 लेन का है. इस एक्सप्रेस वे का 214 किलोमीटर लंबा दिल्ली-दौसा-लालसोट सेक्शन और 100 किमी वाला वडोदरा-अंकलेश्वर सेक्शन अगले साल मार्च तक तैयार हो जाएगा. इसके बाद नवंबर 2022 तक 250 किलोमीर लंबा कोटा-रतलाम-झाबुआ सेक्शन भी पूरा हो जाएगा. इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण में 12 लाख टन स्टील और करीब 80 लाख टन सीमेंट का इस्तेमाल होगा.
इन शहरों के बीच आना-जाना होगा आसान
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे कई मामलों में खास है. 6 राज्यों से गुजरने वाले इस एक्सप्रेस की वजह से जयपुर, किशनगढ़, अजमेर, कोटा, चित्तौड़गढ़, उदयपुर, भोपाल, उज्जैन, इंदौर, अहमदाबाद, सूरत जैसे शहरों तक आना-जाना आसान होगा और इसके विश्वस्तरीय बनाया जाएगा.
12 लेन का भी बनाया जा सकेगा एक्सप्रेस-वे
एक्सप्रेसवे पर टोल RFID (Radio-frequency Identification) तकनीक से लिया जाएगा. इसके किनारे 20 लाख पेड़ लगेंगे, जिससे पर्यावरण को फायदा होगा. पूरे एक्सप्रेस-वे पर 94 साइड एमेनिटीज बनाई जाएंगी, जहां लोगों को खाने-पीने या आराम करने की सुविधा होगी. इस एक्सप्रेस पर 2 कॉरिडोर अलग से बनाए जा रहे हैं और सड़क परिवहन मंत्रालय के मुताबिक अगर जरूरत पड़ी तो 8 लेन के इस एक्सप्रेस वे को 12 लेन का भी बनाया जा सकेगा.
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