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नई दिल्ली: दुनिया की एक मशहूर मैगजीन को लगता है कि एक आतंकवादी का Time आ गया है. टाइम मैगजीन (Time Magazine) ने दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों की लिस्ट जारी की है. इस लिस्ट में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) के साथ भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को भी रखा गया है.
लेकिन असली खबर ये नहीं है. असली खबर ये है कि दुनिया के इन प्रभावशाली लोगों में ने अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के उप प्रधानमंत्री मुल्ला बरादर (Mullah Baradar) का नाम भी शामिल किया है. एक आंतकवादी संगठन के संस्थापक को इस लिस्ट में शामिल करना, दुनिया के तमाम अमन पसंद लोगों के साथ एक भद्दा मजाक है.
Time एक अमेरिकी मैगजीन है, जो वर्ष 1999 से लगातार दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची जारी कर रही है. इस मैगजीन के मुताबिक, इन 100 लोगों का चयन तीन आधार पर होता है. पहले लोग वो, जिनके पास पॉवर है और दुनिया को प्रभावित करने वाले फैसले लेने के अधिकार हैं. जैसे बड़े नेता या उद्योगपति. दूसरे लोग वो, जिनते पास पॉवर नहीं है, लेकिन उनके विचारों ने दुनिया को बुनियादी रूप से बदला है या बदल सकते हैं. जबकि तीसरे लोग वो, जिन्होंने अपनी निष्पक्षता, नैतिकता और प्रतिभा से पहचान हासिल की है.
सोचिए, मुल्ला बरादर (Mullah Baradar) इन तीनों में से किस श्रेणी में आता है? क्या जेहाद के नाम पर आतंकवाद फैलाने वाले मुल्ला बरादर के विचार दुनिया को बुनियादी रूप से बदल सकते हैं? या नैतिकता के आधार पर उसे दुनिया के सामने एक उदाहरण के तौर पर पेश किया जा सकता है? या आतंकवाद फैलने में मुल्ला बरादर की प्रतिभा दुनिया का कल्याण कर सकती है? हमें लगता है कि मुल्ला बरादर को दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में जगह देना दुनिया के साथ एक भद्दा मजाक है, और टाइम मैगजीन (Time Magazine) ने ऐसा करके दुनिया में आतंकवाद को वैध (Legitimize) बताया है और उसे प्रोत्साहन दिया है.
हमें पूरा भरोसा है कि आज मुल्ला बरादर बहुत खुश होगा क्योंकि शायद उसने भी कभी इस बात की कल्पना नहीं की होगी कि एक दिन उसका नाम दुनिया के उन बड़े नेताओं के साथ लिया जाएगा, जो वॉर ऑन टेरर (War on Terror) और काउंटर टेररिज्म (Counter Terrorism) की बात करते हैं. इस सूची में मुल्ला बरादर को लीडर वाली श्रेणी में दुनिया के 20 नेताओं के साथ जगह दी गई है. इसमें अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden), उप राष्ट्रपति कमला हेरिस (Kamala Harris), चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) और भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) प्रमुख हैं.
ये मैगजीन जिन लोगों को अपनी सूची में जगह देती है, उनके बारे में एक लेख भी अलग से प्रकाशित किया जाता है. मुल्ला बरादर के बारे में ये लेख पाकिस्तान के एक पत्रकार अहमद रशीद ने लिखा है, जो पश्चिमी मीडिया के अखबारों और न्यूज चैनलों में तालिबान और सेंट्रल एशिया से जुड़े मुद्दों पर अपनी राय देते हैं और कश्मीर को लेकर कई ऐसे लेख और इंटरव्यू दे चुके हैं, जिनमें पाकिस्तान का एजेंडा होता है. इस लेख में मुल्ला बरादर को करिश्माई सैन्य नेता (Charismatic Military Leader) बताया गया है. इसके अलावा इसमें लिखा है कि वो धार्मिक रूप से एक पवित्र व्यक्ति हैं और अफगानिस्तान के भविष्य का आधार भी हैं. ये लेख मुल्ला बरादर की तारीफ से भरा पड़ा है और इसे पढ़ कर ऐसा लगता है कि मुल्ला बरादर आतंकवाद से दुनिया का कल्याण कर सकता है.
समझने की बात ये है कि अगर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर किसी आतंकवादी को इस तरह से प्रशंसा मिलेगी तो फिर दुनिया में और आतंकवादी पैदा होंगे, जो पहले खून बहाएंगे, लोगों में अपना खौफ पैदा करेंगे, अपने नाम पर इनाम की राशि बढ़वाएंगे, अखबारों की हेडलाइन्स बनेंगे और फिर एक दिन उन्हें भी टाइम मैगजीन दुनिया के 100 प्रभावशाली लोगों में जगह दे देगी. मुल्ला बरादर के अलावा इस श्रेणी में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी जगह मिली है. यहां प्वाइंट ये है कि ममता बनर्जी का प्रोफाइल हमारे देश की एक ऐसी पत्रकार ने लिखा है, जो वैचारिक रूप से उनका समर्थन करती हैं. जबकि प्रधानमंत्री मोदी का प्रोफाइल भारतीय मूल के अमेरिकी पत्रकार फरीद जकारिया ने लिखा है, जो उनके खिलाफ लेख लिखने के लिए जाने जाते हैं. यानी यहां निष्पक्षता को भी एजेंडे का रूप दिया गया है.
आज ममता बनर्जी और प्रधानमंत्री मोदी के बारे में लिखी बातें आपको पढ़नी चाहिए. ममता बनर्जी के लिए लिखा है कि हवाई चप्पलें पहनने वाली ममता बनर्जी भारतीय राजनीति का आक्रामक चेहरा बन गई हैं, जिन्होंने पश्चिम बंगाल के विधान सभा चुनाव में बीजेपी के पैसे और संगठन की ताकत के बावजूद जीत हासिल की. इसमें ममता बनर्जी की गरीबी और उनके संघर्षों के बारे में लिखा है कि उन्होंने स्टेनोग्राफर और दूध बेचकर अपने परिवार की मदद की. लेकिन ममता बनर्जी की तरह प्रधानमंत्री मोदी के प्रोफाइल में उनके संघर्ष और गरीबी की बातें नहीं लिखी हैं. अंग्रेजी में इसे डबल स्टैंडर्ड कहते हैं. प्रधानमंत्री मोदी के बारे में लिखा है कि वो एक हिन्दू राष्ट्रवादी नेता हैं, एंटी मुस्लिम हैं, उनके शासन में भारत का लोकतंत्र अंधकार में जा रहा है और भारत में पत्रकारों और NGOs के खिलाफ नए नए कानून बनाए जा रहे हैं. ये सारी बातें Time Magazine द्वारा प्रायोजित और नफरत से भरी हुई हैं.
वर्ष 2014 में जब प्रधानमंत्री मोदी को पहली बार दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों में जगह दी गई थी, तब भी उनका प्रोफाइल फरीद जकारिया ने लिखा था, और उन्हें बांटने वाला नेता, निरंकुश शासक और डार्क हिंदू नेशनलिस्ट बताया था. जबकि मुल्ला बरादर जैसे आतंकवादी को ऐसे पत्रकार चमत्कारिक नेता बताते हैं और इससे आप इनकी पत्रकारिता का अन्दाजा लगा सकते हैं. 2014 से अब तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इस सूची में पांच बार जगह मिल चुकी है और हर बार एक एजेंडे के तहत पहले से तय पत्रकारों से उनका प्रोफाइल लिखवाया जाता है. केवल 2015 एक ऐसा साल था, जब उनकी प्रशंसा की गई थी और इसका कारण ये था कि उनका प्रोफाइल बराक ओबामा ने लिखा था.
इससे आप अंतर कर सकते हैं कि जब डिजायनर पत्रकार मोदी के बारे में लिखते हैं, तो उनके शब्द क्या होते हैं, और जब दुनिया का एक बड़ा नेता उनके बारे में लिखता है तो वो उन्हें किस नजरिए से देखता है. यही मैगजीन 2019 के लोक सभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री मोदी India's Divider in Chief यानी भारत का विभाजनकारी नेता बता चुकी है. टाइम मैगजीन ने दुनिया के साथ ऐसा मजाक पहली बार नहीं किया है. वर्ष 2007 में इस मैगजीन ने 9/11 हमले के मास्टरमाइंड ओसामा बिन लादेन को जगह दी थी. जबकि इसी साल अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश का नाम इस सूची से गायब था. यानी बुश को जगह नहीं दी, लादेन को दे दी.
वर्ष 2008 में तालिबान के कमांडर बैतुल्लाह महसूद को भी दुनिया का प्रभावशाली नेता माना गया था. तब उसे नेच्युरल लीडर यानी स्वाभाविक नेता की संज्ञा दी गई. बैतुल्लाह 2009 में अमेरिकी कार्रवाई में मारा गया था. टाइम मैगजीन ने वर्ष 1938 में जर्मनी के तानाशाह एडॉल्फ हिटलर (Adolf Hitler), वर्ष 1942 में सोवियत संघ के क्रूर शासक जोसेफ स्टालिन (Joseph Stalin) और वर्ष 1979 में ईरान के सुप्रीम लीडर रहे आयातुल्लाह खुमैनी को भी मैन ऑफ द ईयर (Man of the Year) घोषित किया था.
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