One Nation, One Election: आम आदमी पार्टी (AAP) ने वन नेशन-वन इलेक्शन (One Nation, One Election) के विचार का सख्त विरोध किया है. इस संबंध में AAP के राष्ट्रीय सचिव पंकज गुप्ता और वरिष्ठ नेता जैस्मीन शाह के एक प्रतिनिधि मंडल ने भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में वन नेशन-वन इलेक्शन के लिए बनी उच्च स्तरीय समिति से मुलाकात की. इस दौरान AAP ने बिना किसी पॉलिसी ड्राफ्ट के चुनाव के इस आइडिया पर संदेह जताते हुए इसकी कमियों की तरफ किया इशारा.


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AAP ने वन नेशन-वन इलेक्शन का विरोध करते हुए कहा कि यह देश के लोकतंत्र, संविधान की बुनियादी और संघीय ढांचे, संवैधानिक सिद्धांतों, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए गंभीर खतरा है. 


AAP के राष्ट्रीय सचिव पंकज गुप्ता ने कहा कि पूरे देश में एक साथ मतदान कराना मतदाता के प्रति लोकतांत्रिक जवाबदेही को कमजोर करता है. साथ ही सरकारों को चुनाव से पहले हर पांच साल में केवल एक बार काम करने के लिए प्रोत्साहित करेगा. उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव का मौजूदा स्वरूप रोजमर्रा के शासन में कोई बाधा पैदा नहीं करता है. उन्होंने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि किसी भी चुनाव से पहले लगाई गई आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) केवल किसी नई योजनाओं की घोषणा करने से रोकती है. इसके अलावा सरकार के पहले से चल रहे कार्यक्रम चलाती रहती है. उन्होंने आगे कहा कि एमसीसी के किसी भी कठिनाइयों का सामना चुनाव आयोग के स्तर पर किया जा सकता है. इसे एमसीसी के प्रावधानों को स्पष्ट करके और राज्यों में होने वाले चुनावों के चरणों की संख्या को कम करके भी हासिल किया जा सकता है.


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पंकज गुप्ता ने इस तथ्य पर बल दिया कि चुनाव लोगों को केंद्र और राज्य सरकारों को जवाबदेह ठहराने का एक अवसर देता है.  वन नेशन-वन इलेक्शन नागरिकों को इस अवसर से वंचित कर देगा. उन्होंने वन नेशन-वन इलेक्शन  के वित्तीय पहलू पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मौजूदा स्वरूप में चुनावों पर कुल खर्च बहुत कम है, जो केंद्र सरकार के वार्षिक बजट का केवल 0.1 फीसदी है.


AAP नेता जस्मिन शाह ने एचएलसी को बताया कि वन नेशन-वन इलेक्शन संसदीय प्रणाली, संघीय ढांचे, लोकतंत्र और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनावों का उल्लंघन करता है.उन्होंने ओएनओई के तकनीकी पहलुओं पर ध्यान दिलाते हुए एचएलसी को बताया किया कि ओएनओई में चुनावों के बाद त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में या सरकार के विश्वास खोने की स्थिति में कोई समाधान नहीं दिया गया है.


जस्मिन शाह ने विशेष रूप से दो पहलुओं की ओर इशारा किया. पहला, ओएनओई त्रिशंकु विधानसभाओं के लिए प्रस्तावित समाधान के लिए दल-बदल विरोधी कानूनों को कमजोर करेगा. बड़े पैमाने पर खरीद-फरोख्त और सबसे बड़ी पार्टी द्वारा धन-बाहुबल के दुरुपयोग को प्रोत्साहित करेगा. दूसरा, अगर कोई सरकार विधानसभा का विश्वास खो देती है तो भी यह बिना बहुमत साबित किए सरकार को काम करने की अनुमति देता है. इसके अलावा उन्होंने एचएलसी को सचेत किया कि ओएनओई राज्य के चुनाव एजेंडे को राष्ट्रीय चुनाव एजेंडे से आगे ले जाएगा. उन्होंने कहा कि संविधान और लोकतंत्र के सिद्धांतों को कुछ वित्तीय लाभ और प्रशासनिक सुविधा के लिए बलिदान नहीं किया जा सकता है.


इस दौरान AAP प्रतिनिधि मंडल ने वर्तमान परामर्श की त्रुटि की ओर इशारा किया जो किसी नीतिगत मसौदे के बिना अस्पष्ट विचार पर किया जा रहा है. उन्होंने समिति से यह भी अनुरोध किया कि यदि समिति इसकी सिफारिश करती है, तो भविष्य में एक साथ चुनाव कराने के लिए एक ठोस मसौदा योजना के साथ एक और परामर्श बैठक आयोजित किया जाए.


AAP नेताओं के प्रतिनिधिमंडल का स्वागत करते हुए एचएलसी के अध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि AAP दो राज्यों में सरकार है और वह इस परामर्श की प्रक्रिया में एक अहम हितधारक है. समिति ने AAP के विचारों को सुना और AAP के अनुरोध को स्वीकार किया है. अगर समिति इसकी सिफारिश करती है कि भविष्य में एक साथ चुनाव को लेकर एक ठोस मसौदा योजना के साथ एक बार और परामर्श किया जाए तो इस पर विचार किया जाएगा.


ओएनओई की संवैधानिकता के बारे में कुछ गंभीर मुद्दों पर राय व्यक्त करते हुए AAP ने कहा है कि देशभर में सभी चुनाव एक साथ कराने से संविधान के मूल ढांचे को हानि पहुंचेगी. सुप्रीम कोर्ट ने भी माना है कि संविधान की मूल ढांचे को कमजोर नहीं किया जा सकता है, जबकि ओएनओई का विचार संविधान के बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचाता है.