अंबालाः लुधियाना की मनुख्ता दी सेवा संस्था ने तीन लोगों को रेस्क्यू किया है. जो नरकीय जीवन जीने से मजबूर थे, जिनमें 2 पढ़े लिखे भाई-बहन जोकि एक डॉक्टर के बेटा-बेटी है, लेकिन माता-पिता की मौत के बाद ये 20 साल से घर में कैद थे. वहीं एक सिख युवक 10 साल से सड़कों पर ठोकरें खा कर जीवन व्यतीत कर रहा था. लुधियाना की संस्था मनुख्ता दी सेवा सबसे बड़ी सेवा ने अंबाला छावनी और शहर से तीन लोगों को रेस्क्यू किया है.


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बता दे कि ये तीनों लोग दिमागी रूप से कमजोर थे और पिछले कई सालों से अपने घरों में नरकीय जीवन जी रहे थे. दरअसल, बोह गांव निवासी दो भाई बहन जो M.A. और B.Ed है. पिछले 20 सालों से यह दोनों भाई बहन एक ही कमरे में बंद थे. बताया जाता है कि हरियाणा के अंबाला में आयुर्वेदिक डॉक्टर के एजुकेटेड बेटा-बेटी पिछले 20 साल से नरक की जिंदगी जी रहे थे. दोनों ने खुद को घर में बंद किया हुआ था.


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पड़ोसियों द्वारा समय पर खाना उपलब्ध कराने पर ही भाई-बहन अभी तक जिंदा रहे. माता-पिता की मौत के बाद एमए, बीएड पास लड़की अपने भाई के साथ 20 सालों से अपने घर में बंद थी. इनके पिता सूरज प्रकाश शर्मा आयुर्वेदिक डॉक्टर थे. इंदू शर्मा और सुनील शर्मा दोनों मानसिक रूप से बीमार बताए जा रहे हैं. बताया गया कि दोनों भाई-बहनों के रिश्तेदार अंबाला कैंट में रहते हैं. दोनों को रेस्क्यू करके मनुखता दी सेवा सबसे बड़ी सेवा संस्था अपने साथ लुधियाना ले गई है, जो उनकी देखभाल करेगी.


वहीं, संस्था ने अंबाला सिटी के जोगीवाड़ा से भी एक युवक अमनदीप को रेस्क्यू किया है. सिटी का रहने वाला अमनदीप पिछले 10 साल से सड़कों पर घूम रहा था. वहीं, मांगकर कुछ भी खा लेता था. दिनभर शहर में घूमता और रात को अपने घर जाकर सो जाता था. अमनदीप की स्थिति इतनी दयनीय हो गई थी कि उसे पिछले 4-5 साल से अपने मल-मूत्र का भी पता नहीं चलता था, जिस वक्त टीम ने उसे रेस्क्यू किया उसके कमरे में गंदगी का ढेर लगा हुआ था.


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मीडिया से बात करते हुए संस्था के सेवक मिंटू मालवा ने बताया कि उनकी ओर से ऐसे लोगों को रेस्क्यू किया जाता है जो कि मंदबुद्धि होते है और उनकी मदद करने वाला कोई नहीं होता है. वहीं, अंबाला से भी उनके पास इन लोगों की वीडियो आई थी, जिसके बाद वंदे मातरम् दल के साथ उन्होंने मिल कर इन लोगों को रेस्क्यू किया है और अब एक बेहतर जिंदगी देने के कोशिश करेंगे.


उन्होंने बताया कि यह तीनों ही लोग गंदगी भरी जगह में रह रहे थे और अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे. इन सब की दिमागी हालत कमजोर है और जिस महिला को रेस्क्यू किया गया है वह भी काफी पढ़ी-लिखी है पर, लेकिन दिमागी हालत ठीक न होने की वजह से पिछले 20 सालों से एक ही कमरे में बंद है. ये तीनों ही लोग नरक भरी जिंदगी जीने को मजबूर थे.


(इनपुटः अमन कपूर)