Panipat News: कश्मीर के अनंतनाग जिले के राजौरी में आतंकियों और सेना के बीच हुई मुठभेड़ में शहीद हुए मेजर आशीष धौंचक का शव आज सुबह पानीपत पहुंचा. शहीद मेजर के शव को सबसे पहले पानीपत के TDI सिटी स्थित उनके नव निर्मित मकान में ले जाया गया. मेजर का पिछले 2 साल से इस घर को बनवा रहे थे और इस साल अक्टूबर में इसमें शिफ्ट होने वाले थे. इसके बाद उनके शव को पैतृक गांव बिंझौल ले जाया गया, जहां राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा. 


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गांव में पसरा मातम
हरियाणा के लाल की शहादत से मेजर आशीष धौंचक के गांव में मातम पसर गया, शहीद मेजर आशीष को अंतिम विदाई के लिए गांव बिंझौल में काफी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. स्थानीय लोगों के साथ ही सेना के अफसर, लेफ्टिनेंट व उच्च अधिकारी भी शहीद मेजर को श्रद्धांजलि देने के लिए बिंझौल पहुंच रहे हैं. 


ग्रामीणों ने कहा शहादत पर गर्व
मेजर आशीष धौंचक की शहादत के बाद एक ओर जहां गांव में मातम पसर गया है, वहीं दूसरी तरफ ग्रामीणों ने कहा कि उन्हें आशीष की शहादत पर गर्व है. कई साल बाद एक ऐसा बेटा पैदा होता है, जो देश के लिए कर्बान होता है. वहीं मेजर आशीष के गांव में मौजूद एक रिटायर्ड आर्मी अफसर ने कहा कि हमें खुशी है कि आज एक जवान ने देश के लिए शहादत दी. साथ ही उन्होंने दुख प्रकट करते हुए ये भी कहा कि हमें अफसोस है कि हम कुछ नहीं कर पाए, लेकिन आज हमारे युवा इस बलिदान का बदला ले रहे हैं. 


15 अगस्त को हुए सम्मानित
मेजर आशीष भी 19 राष्ट्रीय राइफल्स के सिख लाइट इन्फैंट्री में तैनात थे और उन्हें 15 अगस्त को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बहादुरी के लिए सेना मेडल से भी सम्मानित किया था.


4 महीने पहले हुई परिवार से आखिरी मुलाकात
मेजर आशीष 4 महीने पहले 2 मई को 10 दिन की छुट्टी लेकर घर आए थे, ये उनके परिवार के साथ आखिरी मुलाकात थी. आशीष का परिवार पहले बिंझौल में रहता था, लेकिन बाद मे वह पानीपत में किराए के मकान में शिफ्ट हो गया. आशीष ने हाल ही में पानीपत में घर बनवाया था, अगले महीने वो नए घर में शिफ्ट होने वाले थे, लेकिन उसके पहले उनकी शहादत की खबर आ गई. आशीष 3 बहनों को इकलौते भाई थे. आशीष की 15 नवंबर 2015 को जींद की रहने वाली ज्योति से शादी हुई थी और उनकी 2 साल की बेटी है. 


Input- Rakesh Bhayana