Bhiwani News: सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा सार्वजनिक सेवाओं को बचाने के लिए लंबे समय से संघर्षरत है. कर्मचारी केवल अपनी मांगों के लिए ही आंदोलन नहीं करते, बल्कि नीजिकरण, ठेका, छंटनी के खिलाफ और जनता के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, बस, बिजली, पानी आदि के लिए भी अपनी आवाज को बुलंद करते हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

भाजपा-जजपा गठंबंधन सरकार की नीतियों से खफा कर्मचारी लांबंद्ध हो गए हैं. आंदोलन के प्रथम चरण में गांव-गांव जाकर जनप्रतिनिधियों से समर्थन जुटाएंगे और चार फरवरी को रोहतक में ऐतिहासिक रैली कर मुंह तोड़ जवाब देंगे.


ये भी पढ़ें: Ambala News: विज का कांग्रेस पर हमला, कहा- पार्टी ने किया मुंह काला करने वाला काम


 


सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा संबंद्ध अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर स्थानीय महम रोड़ स्थित संघ कार्यालय में जिला स्तरीय बैठक प्रधान सूरजभान जटासरा की अध्यक्षता में आयोजित की गई. इसका संचालन सचिव सहदेव रंगा द्वारा किया गया. प्रांतीय प्रधान धर्मबीर फौगाट ने बताया कि मुख्यमंत्री ने खुद विधानसभा में बताया था कि 2 लाख 2 हजार 456 पक्की नौकरी के पद खाली हैं. 1991 में आबादी सवा करोड़ थी और नौकरियां 4 लाख थी. अब आबादी 3 करोड़ हो गई और कार्यरत्त कर्मियों की संख्या 2 लाख 70 हजार ही बची है.


आबादी और सेवाओं के तय पैमाने की जरूरत पर भर्ती की जाए तो 10 लाख बेरोजगारों को पक्की नौकरी दी जा सकती है, लेकिन सरकार तो कौशल निगम, अग्निवीर, ठेका आदि के जरिये कम दिहाड़ी पर काम करवाना चाहती है. सरकारी महकमों में आऊटसोर्सिंग, ठेका प्रथा, नीजिकरण की नीतियों को बढ़ावा दिया जा रहा है.


सरकार ने चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया था कि सभी कच्चे कर्मियों को पक्का किया जाएगा और पुरानी पेंशन बहाल की जाएगी. लगातार 9 साल बीत जाने के बाद सरकार ने कर्मियों व जनता के साथ किए गए एक भी वादे को पूरा नहीं किया. उन्होंने कहा कि यदि सरकार कॉर्पोरेट घरानों पर 2 प्रतिशत टैक्स और लगा दे तो सभी को फ्री शिक्षा मिल सकती है. यदि एक प्रतिशत और लगा दे तो सभी को फ्री चिकित्सा मिल सकती है और 5 प्रतिशत टैक्स लगा दिया जाए तो पूरी जनता को सभी सुविधाएं दी जा सकती है.


कॉर्पोरेट टैक्स पहले 30 प्रतिशत था, उसे अब घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया है. यदि टैक्स 20 या 22 प्रतिशत कर दिया जाए तो धन की कमी नहीं रहेगी. सरकार ने 2014 से अब तक पूंजीपतियों के 15 लाख 32 हजार करोड़ रुपये बट्टे खाते डाल दिए हैं. एक तरफ 73 प्रतिशत आबादी 10 हजार रुपये औसत को गुजारा करने को मजबूर है. दूसरी और 10 बड़े पूंजीपति 57 प्रतिशत दौलत पर कब्जा जमाए बैठे हैं. अब किसान, मजदूर, कर्मचारी व कमेरे वर्ग को एक साथ मिलकर संघर्ष करने की जरूरत है. राज्य व्यापी रैली की तैयारियों व जनप्रतिनिधियों से जनसमर्थन जुटाने के लिए ब्लॉक स्तर पर विस्तारित बैठके की जाएगी और जत्थे चलाकर जनसपंर्क अभियान चलाकर किया जाएगा.


Input: Naveen Sharma