नई दिल्ली:  सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई को एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा था कि दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर, पोस्टिंग और विजिलेंस विभाग पर चुनी हुई सरकार फैसले लेगी. फैसले पर सीएम अरविंद केजरीवाल समेत आम आदमी पार्टी के नेताओं ने खुशी जाहिर करते हुए उम्मीद जताई थी कि अब दिल्ली के  कार्यों में तेजी आएगी, क्योंकि फाइलें अब कहीं लटकेंगी नहीं, लेकिन ये खुशी सिर्फ नौ दिन ही टिक पाई.


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आज केंद्र सरकार ने संवैधानिक संस्थाओं की सुरक्षा की चिंता का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले को पलट दिया, जिसकी वजह से दिल्ली सरकार को अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार मिले थे. मोदी सरकार ने दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर एक अध्यादेश जारी कर दिया. 


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अध्यादेश के जरिये केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (NCCSA) का गठन करेगी. यह नेशनल कैपिटल सिविल सर्विस अथॉरिटी ही दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग और विजिलेंस के काम पर नजर रखेगी. इसमें तीन सदस्य दिल्ली के सीएम, मुख्य सचिव और गृह सचिव होंगे. सीएम की अध्यक्षता में यह समिति अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के मामलों की सिफारिश करेगी, लेकिन उस पर अंतिम फैसला दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना लेंगे. 


अध्यादेश के बाद केजरीवाल सरकार ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर तानाशाही करने और सुप्रीम कोर्ट की अवमानना करने का आरोप लगाया. वहीं  अध्यादेश के मुताबिक दिल्ली विधायिका के साथ एक यूनियन टेरिटरी है. देश की राजधानी दिल्ली में पीएम ऑफिस, राष्ट्रपति कार्यालय, कई नेशनल व इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट के अलावा सुप्रीम कोर्ट समेत कई संवैधानिक संस्थाएं भी हैं. ऐसे में उनकी सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस अध्यादेश को निर्णय लिया गया है.


सीएम ने पहले ही जता दी थी आशंका 
दरअसल एक दिन पहले ही दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर अध्यादेश लाने की आशंका जाता दी थी. उन्होंने ट्वीट किया-एलजी साहिब SC आदेश क्यों नहीं मान रहे? दो दिन से सर्विसेज सेक्रेटरी की फाइल साइन क्यों नहीं की? कहा जा रहा है कि केंद्र अगले हफ्ते आर्डिनेंस लाकर SC के आदेश को पलटने वाली है? क्या केंद्र सरकार SC के आदेश को पलटने की साजिश कर रही है? क्या LG साहिब आर्डिनेंस का इंतज़ार कर रहे हैं, इसलिए फाइल साइन नहीं कर रहे?