Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य के अनुसार इन पुरुषों को घर की जगह जंगल में रहना चाहिए, जानें वजह
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य के अनुसार किसी भी व्यक्ति के जीवन में स्त्री का होना अत्याधिक महत्वपूर्ण होता है, लेकिन जिस घर में मां नहीं हो और पत्नी अप्रिय बोलने वाली हो ऐसे पुरुष को घर में रहने की जगह जंगल चले जाना चाहिए.
Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य विद्वान होने के साथ ही महान शिक्षक भी थे, उनके द्वारा बताई गई नीतियों को अपनाकर जीवन में सफलता पाई जा सकती है. आचार्य चाणक्य ने विश्वप्रसिद्ध तक्षशिला विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण की थी. चाणक्य नीति में पैसा, सेहत, बिजनेस, दांपत्य जीवन, समाज और जीवन में सफलता से जुड़ी चीजों के बारे में जानकारी दी गई है. अगर कोई भी व्यक्ति इन बातों को अपने जीवन में अपना ले, तो वह सफतला के नए मुकाम हासिल कर सकता है.
आचार्य चाणक्य के अनुसार किसी भी व्यक्ति के जीवन में स्त्री का होना अत्याधिक महत्वपूर्ण होता है. बचपन में वह अपनी मां के आंचल की छाया में रहता है. फिर युवावस्था में विवाह के बाद उसकी जीवनसाथी का आगमन होता है, अगर पत्नी अच्छी को मधुर बोलने वाली हो तो घर को स्वर्ग बना देती है. लेकिन कई बार इसका उल्टा हो जाता है.
माता यस्य गृहे नास्ति भार्या चाप्रियवादिनी।
अरण्यं तेन गन्तव्यं यथारण्यं तथा गृहम् ॥
आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में उन पुरुषों के बारे में बताया है, जिन्हें घर की जगह जगंल में रहना चाहिए. आचार्य चाणक्य के अनुसार जिस घर में मां नहीं हो और जिस घर में पत्नी अप्रिय बोलने वाली हो, ऐसे घर में रहने से बेहतर जंगल में रहना होता है.
ये भी पढ़ें- Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य के अनुसार अगर जीते जी कर लिए ये 3 काम तो मौत के बाद भी सुखी रहेगा परिवार
मकान को घर बनाती है मां
मां केवल जन्म ही नहीं देती, बल्कि बचपन से युवावस्था तक हर कदम में हमारा मार्गदर्शन करती है. मां अपनी ममता से मिट्टी के मकान को घर बनाती है. जीवन में अगर कभी बच्चे गलत रास्ते पर भी चले जाएं तो वो केवल मां ही है, जो उचित मार्गदर्शन कर बच्चों को सही रास्ते पर लाने का काम करती है. मां के बिना जीवन की कल्पना करना भी असंभव है.आचार्य चाणक्य के अनुसार अगर किसी घर में मां का साया नहीं हो तो उस जगह पर रहने से अच्छा है कि जंगल में रह लिया जाए.
घर की सुख-शांति बनाए रखती है पत्नी
मां के बाद पत्नी पुरुष के जीवन को संभालने का कार्य करती है. युवावस्था से बूढे़ होने तक हर कदम में वो अपने पति का साथ देती है, पति के सुख-दुख की साथी बनती है. लेकिन अगर पत्नी अच्छी न हो वो हर समय घर में कलह करे और परिवार के लोगों को सम्मान नहीं दे तो ऐसे घर की सुख-शांति खत्म हो जाती है. आचार्य चाणक्य के अनुसार जिस घर में शांति ना हो ऐसे घर में रहने से बेहतर है कि जंगल में रह लिया जाए.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE MEDIA इसकी पुष्टि नहीं करता है.)