Chandigarh News: शिक्षा विभाग से जारी एक पत्र से प्रदेश के हरियाणा के हजारों निजी स्कूल संचालक परेशान हो गए हैं. स्थाई मान्यता के लिए हरियाणा सरकार की बनाई गई समीक्षा नीति के विरोध में निजी स्कूल संचालक लामबंद हो गए हैं. सरकार के इस फैसले से भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ेगा. यह बातें बुधवार प्रेस वार्त्ता को संबोधित करते हुए फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स वेल्फेयर एसोसिएशन हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. कुलभूषण शर्मा ने व्यक्त किए.


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फेडरेशन के अध्यक्ष डॉ. कुलभूषण शर्मा ने मीडिया से कहा कि हरियाणा की भाजपा सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करने की बात करती है. हालात यह हो गए हैं कि स्थायी मान्यता के लिए बनाई गई समीक्षा नीति से भ्रस्टाचार तेजी से बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि सरकार ने जिन स्कूलों को एक बार मान्यता प्रदान कर दी है. उन स्कूलों की बार-बार समीक्षा कराने की आवश्यकता क्या है. जब मान्यता दी गई थी, तब सारे नियमों के अनुसार ही दी गई थी.


इसके अलावा निजी स्कूल्स हर साल फार्म-6 भरते हैं, जिसमें स्कूल संबंधी तमाम जानकारी दर्ज होती है. ऐसे में सरकार नए नियम को लागू करना चाहती है. सरकार चाहे तो 10 साल स्थायी मान्यता वाले स्कूलों से एक हलफनामा ले सकती है, कि स्कूल चल रहा है या नहीं, साथ ही अन्य जानकारी ले सकती है. डॉ. कुलभूषण शर्मा ने कहा कि रिन्यू कराने के चक्कर में स्कूल संचालकों को सरकारी आफिसों के धक्के खाने पड़ेंगे. आज हालात ऐसे हो गए हैं कि निजी स्कूल संचालकों को लाल फीताशाही के दौर से गुजारा जा रहा है.


डॉ. कुलभूषण शर्मा ने मीडिया से कहा कि भाजपा जीरो टालरेंस नीति पर चल रही है. ऐसे में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले इस नियम को ही बदल दिया जाना चाहिए. सरकार ने मिनिमम गवर्नमेंट मैक्सिमम गवर्नेंस का नारा दिया गया है. ऐसे में इस दमनकारी नियम का औचित्य क्या है? क्या सरकार सरकारी स्कूलों की जांच करती है? क्या प्रदेश के सभी सरकारी स्कूल नॉर्म्स को पूरा करते हुए चल रहें? आज के यह ज्वलंत सवाल हैं. ऐसे में जांच और नियमों की तलवार सिर्फ निजी स्कूलों पर ही क्यों लटकी हुई है.


अध्यक्ष डॉ. कुलभूषण शर्मा ने बताया कि हरियाणा के शिक्षा विभाग ने करीब दस दिन पहले एक पत्र जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि जो निजी स्कूल्स 10 साल के हो गए हैं, उन्हें अपनी मान्यता का रिव्यू करवाना होगा. डॉ. कुलभूषण शर्मा का कहना है कि हरियाणा सरकार का यह फैसला न्याय और तर्क संगत नहीं है. उनके फैसले के अनुसार कार्य करने पर निजी स्कूल संचालकों को करीब 400 पेज भरना होगा. यह अत्यधिक जटिल प्रक्रिया है. यह पुन: मान्यता प्राप्त करने जैसी जटिल प्रक्रिया से गुजरना होगा. इस प्रक्रिया में प्रदेश के सभी स्कूल संचालक उलझ कर रह जाएंगे.


डॉ. कुलभूषण शर्मा का कहना है कि फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स वेल्फेयर एसोसिएशन और अन्य यूनियनों के पदाधिकारियों समेत निजी स्कूल्स संचालक शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर से चंडीगढ़ में उनके आवास में मिलेंगे. मान्यता मुद्दें की पेचीदगी से संबंधित बातें उनके समक्ष रखेंगे. डॉ. कुलभूषण शर्मा का कहना है कि हम सीधे तौर पर शिक्षा मंत्री से कहेंगे कि वह इस पत्र को वापस ले कर निजी स्कूलों को राहत प्रदान करें. हमें उम्मीद है कि सरकारी हमारी जायज मांग को मानेगी और हमे राहत प्रदान करेगी.


Input: Vijay Rana