Chhath Puja 2022: छठ पूजा का त्योहार दिवाली के छठे दिन यानी इस साल 30 अक्टूबर को मनाया जाएगा. यह पूजा कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से शुरू की जाती है. चार दिन चलने वाले इस त्योहार में छठी माता और सूर्यदेव की पूजा की जाती हैं. इस साल यह पूजा 28 से 31 अक्टूबर तक चलेगी. छठ में महिलाएं अपने संतान की लंबी उम्र, अच्छी सेहत और सुख समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. इस व्रत के अंतिम दिन उगते सूरज को अर्घ्य देकर छठ का व्रत खोला जाता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर सूर्य को अर्घ्य देकर ही क्यों यह व्रत समाप्त होता है आईए जानते हैं.  
 
भगवान राम और मां सीता ने रखा था छठ का व्रत
ऐसी मान्यता है कि लंका पर विजय के बाद राम राज्य की स्थापना के दिन कार्तिक मास की शुक्ल षष्ठी को भगवान राम और मां सीता ने व्रत रखा था और सूर्यदेव की पूजा अर्चना की थी. इसी कड़ी में श्री राम और माता सीता ने व्रत रखने के बाद सप्तमी तिथि को उगते सूरज को अर्घ्य देकर सूर्यदेव से आशीर्वाद लिया था. तभी से इस पर्व की शुरुआत हुई.


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महाभारत में रखा गया था छठ का व्रत
दूसरी मान्यता है कि महाभारत काल में इस पर्व की शुरुआत की गई. इस दिन कर्ण ने सूर्यदेव को अर्घ्य देकर इसकी शुरुआत की थी. वहीं कई लोगों का ऐसा भी मानना हैं कि उस समय पांडवों की पत्नी द्रौपती ने भी सूर्य की पूजा की थी, जिसका उल्लेख महाभारत में भी किया गया है. 


राजा प्रियवद ने संतान प्राप्ती के लिए रखा व्रत
पैराणिक कथाओं के मुताबिक देखा जाए तो राजा प्रियवद की संतान नहीं थी. तभी महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया और यज्ञ में बनी खीर राजा प्रियवद की पत्नी को दी जिससे कि उन्हें संतान की प्राप्ती हो सके. राजा ने पष्ठी देवी का व्रत किया तभी उन्हें संतान की प्राप्ती हुई. इसलिए इस दिन महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए यब छठ का व्रत रखती हैं. 


पर्यावरण में संतुलन बनाए रखने के लिए होता है व्रत 
बता दें कि छठ पूजा पर्यावरण में संतुलन को बनाए रखने के लिए मनाया जाता है. जैसे उगते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है वैसे ही डूबते सूरज को भी अर्घ्य दिया जाता है. समाज की यह प्रथा बताती है कि हम पर्यावरण के अच्छे और बुरे में समान भाव रखना चाहिए क्योंकि उसके साथ बुरा होने की वजह भी हम ही हैं और अच्छा होने की वजह भी.


स्वास्थ्य से जुड़ा छठ पर्व 
ज्योतिष शास्त्र की मानें तो सूर्य को सुबह अर्घ्य देने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है और शाम को अर्घ्य देने से जीवन में कभी किसी चीज की कमी नहीं आती है. माना जाता है कि भगवान सूर्य शाम के समय अपनी दूसरी पत्नी प्रत्युषा के साथ रहते हैं और इस समय सूर्यदेव खुश रहते हैं. इसलिए इस समय व्रत रखकर अर्घ्य देने से सुख-सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है.