Constitution Day: 26 नवम्बर का दिन भारतीय लोकतंत्र के लिए खास होता है, 26 नवंबर 1949 के दिन ही संविधान सभा (Constitution Assembly) ने संविधान को पूर्ण रूप से बनकर तैयार किया था. इसलिए 26 नवम्बर के दिन को राष्ट्रीय संविधान दिवस (National Constitution Day) के रप में मनाया जाता है.  आपको बात दें कि 19 नवम्बर 2015 के दिन डॉ. अम्बेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर 26 नवम्बर को संविधान दिवस मनाने की घोषणा की गई थी.  तब से ही हर साल इस दिन को संविधान दिवस के रुप में मनाया जाता है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

भारत का संविधान विश्व में सबसे लंबा लिखित दस्तावेज है, जिसमें देश के कानून के बारे में जानकारी दी गई है. इसी कानून को बनाए रखने के लिए पुलिस की सहायता ली जाती है. कई बार ऐसे मामले सामने आते रहते हैं, जिनमें पुलिस नियमों का उल्लंघन कर किसी शख्स को गिरफ्तारी कर लेती है. कोई भी व्यक्ति बेवजह सजा क्यों भुगते. इसी को ध्यान में रखते हुए आज हम आपको ऐसे अधिकारों के बारे में बताएंगे, जिनका जिक्र संविधान में हुआ है और जिनके जरिये आप पुलिस की मनमानी कार्रवाई से बच सकते हैं. 


पुलिस के लिए इन गाइडलाइंस का पालन करना है जरूरी: 
-अगर पुलिस किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने से पहले इस बात का ध्यान रखना होगा कि पुलिस अपनी वर्दी में जरूर हो और साथ ही उसकी पुलिस अधिकारी की नेम प्लेट पर उसका नाम भी साफ-साफ लिखा होना जरूरी है. 


ये भी पढ़ें: सिरसा कोर्ट ने बेटी से दुष्कर्म के मामले में दोषी पिता को सुनाई फांसी की सजा


-CRPC की धारा 57 के तहत पुलिस किसी भी व्यक्ति को 24 घंटे से ज्यादा हिरासत में नहीं रख सकती है. ज्यादा समय के लिए हिरासत में रखने के लिए CRPC की धारा 56 के तहत मजिस्ट्रेट से इजाजत लेना जरूरी होता है. 


-CRPC की धारा 50 (1) के तहत गिरफ्तार किए गए व्यक्ति को पुलिस को उसके अरेस्ट की वजह भी बतानी होती है. 


-CRPC की धारा 41 B के तहत किसी भी व्यक्ति की गिरफ्तारी से पहले पुलिस को अरेस्ट मेमो तैयार करना जरूरी होता है. इसमें अरेस्ट करने वाले पुलिस अफसर की रैंक, अरेस्टिंग की टाइमिंग और विटनेस के हस्ताक्षर होने चाहिए. इसके साथ ही गिरफ्तारी किए गए व्यक्ति के भी साइन उस मेमो में होने चाहिए.


-CRPC की धारा 50(A) अरेस्टेट व्यक्ति को अधिकार देती है कि वह अपनी गिरफ्तारी की जानकारी अपने परिवार या रिश्तेदार को दे सके. अगर उस शख्स को इस नियम का पता नहीं है तो पुलिस को खुद यह सूचना उसके घर वालों को देनी होगी.


-CRPC की धारा 41D गिरफ्तार व्यक्ति को कभी भी अपने वकील से मिलने का अधिकार देती है. इतना ही नहीं वह अपने परिवार से भी बात कर सकता है.  


-CRPC की धारा 54 गिरफ्तारी के बाद व्यक्ति को मेडिकल जांच कराने का अधिकार देती है. मतलब कि अगर वह जांच की डिमांड करता है तो पुलिस को उसका मेडिकल कराना होगा. इससे गिरफ्तारी के वक्त गिरफ्तार किए गए व्यक्ति की शारीरिक हालत, बीमारी आदि की जानकारी मिल जाएगी. जैसे कि आप पूरी तरह फिट हैं और शरीर पर कोई चोट भी नहीं है तो पुलिस आपके साथ मारपीट नहीं कर सकती. अगर पुलिस ऐसा करती है तो उसके फंसने का खतरा बढ़ जाता है. जबकि बिना मेडिकल पुलिस आपके साथ पूछताछ के नाम पर मारपीट कर सकती है और यह साबित कर सकती है कि ये चोट पहले से लगी थी.