सिरसा कोर्ट ने बेटी से दुष्कर्म के मामले में दोषी पिता को सुनाई फांसी की सजा
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सिरसा कोर्ट ने बेटी से दुष्कर्म के मामले में दोषी पिता को सुनाई फांसी की सजा

हरियाणा  के सिरसा जिले के गांव में 2020 में नाबालिग बेटी से दुष्कर्म करने के मामले में जिला के फास्ट ट्रेक कोट के जज प्रवीण कुमार ने पिता को दोषी करार दिया है. दोषी पिता को मृत्युदंड की सजा सुनाते हुए फांसी की सजा सुनाई है.

सिरसा कोर्ट ने बेटी से दुष्कर्म के मामले में दोषी पिता को सुनाई फांसी की सजा

नई दिल्ली: हरियाणा  के सिरसा जिले के गांव में 2020 में नाबालिग बेटी से दुष्कर्म करने के मामले में जिला के फास्ट ट्रेक कोट के जज प्रवीण कुमार ने पिता को दोषी करार दिया है. दोषी पिता को मृत्युदंड की सजा सुनाते हुए फांसी की सजा सुनाई है. जज ने इस मामले में कहा कि ऐसे व्यक्ति समाज के लिए खतरा हैं जो अपनी बच्चियों को भी नहीं छोड़ते. एक बेटी अपने पिता के पास ही सुरक्षित नहीं रह सकती तो वह कहां सुरक्षित रहेगी.

बता दें कि जज ने जब फैसला सुनाया तो दोषी पिता सुबक-सुबक कर रोने लगा और रहम की गुहार लगाने लगा. बता दें कि साल 2020 में सितंबर के महीने की एक रात दोषी शराब पीकर अपनी पत्नी से झगड़ा करके घर से निकाल दिया. उसी रात उसने अपनी 12 साल की बेटी के साथ दो बार दुष्कर्म किया. पहले दिन तो बेटी ने डर के मारे किसी को कुछ नहीं बताया. फिर बाद में उसने अपनी मां को सारी बात बताई.  जिसके बाद में पीड़िता के बयान पर महिला थाना सिरसा पुलिस ने 28 सितंबर 2020 को मामला दर्ज किया. अदालत में करीब दो साल तक चले अभियोग के बाद वीरवार को अदालत ने आरोपित को दोषी करार दे दिया. 

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POSCO Act के तहत मृत्युदंड की सजा सुनाने का सिरसा जिले का यह पहला मामला है. इस मामले में उप जिला न्यायवादी राजीव सरदाना ने बताया कि दोषी ने अपना बड़ा बेटा अपने भाई को गोद दिया हुआ है जबकि एक बेटा-बेटी उसके साथ रहते थे. अदालत ने इसे रेयरेस्ट केस माना है. पीड़ित बच्ची को घटना के बाद चाइल्ड केयर सेंटर बहादुरगढ़ में छोड़ा हुआ है. इस मामले में जिला लीगल सर्विस अर्थारिटी द्वारा पीड़िता को पांच लाख का मुआवजा दिया जाएगा, उसे जल्द ही मुआवजा दिलवाने का प्रयास करेंगे. इसके साथ ही दोषी पर अदालत ने 50 हजार जुर्माना लगाया है. वहीं इस मामले में अधिवक्ता चंद्रलेखा ने कहा कि एक अधिवक्ता के तौर पर उन्होंने दोषी का बचाव किया पंरतु एक औरत और मानव होने के नाते वे अदालत के इस फैसले की सराहना करती है.