Corona Vaccine: वैक्सीन से ब्रेन हेमरेज और हार्ट अटैक से हो रही मौत, जानें इसमें है कितनी सच्चाई
यमुनानगर: कोरोना काल में लगी वैक्सीन लगातार चर्चाओं का विषय बन रही है कि वैक्सीन लगने से ब्रेन हेमरेज और हार्ट अटैक से मौत हो रही, यह सच्चाई है या फिर अफवाहे.
Corona Vaccine: यमुनानगर: कोरोना काल में लगी वैक्सीन लगातार चर्चाओं का विषय बन रही है कि वैक्सीन लगने से ब्रेन हेमरेज और हार्ट अटैक से मौत हो रही, यह सच्चाई है या फिर अफवाहे. ( कोरोना काल के समय राष्ट्रीय अध्यक्ष ) इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ राजन ने इसको लेकर सच्चाई बताई है.
डॉ. राजन शर्मा से एक विशेष बातचीत में माना कि कहीं न कहीं किसी दवाई का साइड इफेक्ट जरूर होता है. डॉ. राजन का कहना है कि कोरोना काल में इतना समय नहीं था कि वह इसका ट्रायल पूरा कर सके जिसकी वजह से अब लोगों को कहीं न कहीं थोड़ी बहुत दिक्कत जरूर आ रही है.
डॉ. राजन ने कहा कि कोरोना काल उस समय एक अंधेरी गुफा की तरह था. उन्होंने कहा कि किसी भी दवाई या वैक्सीन के साइड इफेक्ट हो सकते हैं, जो भी दवाई बनाई गई थी. वह एक ऐतिहासिक थी और उस समय वह इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का प्रधान थे. उन्होंने कहा कि लोगों का कॉन्फिडेंस बढ़ाने के लिए हमने खुद सबसे पहले वैक्सीन लगवाई. डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार के समय में स्वाइन फ्लू बीमारी आई थी, जिसका उस समय मोर्टालिटी रेट 7.4 था और कोई लॉकडाउन भी नहीं था. जबकि कोरोना काल का रेट 2.8% था. उस समय सरकार ने प्राइवेट सेक्टर के साथ मिलकर इतना अच्छा काम किया कि जिससे लोग पैनिक न हो. उस समय प्राइवेट अस्पतालों के डॉक्टरों को भी क्वॉरेंटाइन करके घर बैठा दिया था.
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वैक्सीन को बनाने के लिए कम से कम 3 साल का ट्रायल होना जरूरी है, इसके जवाब में डॉक्टर राजन ने कहा कि उस समय हमारे पास इतना टाइम ही नहीं था कि 3 साल तक ट्रायल करते रहें. डॉ राजन ने कहा कि वैक्सीनेशन में हमारा देश लीडर है. उन्होंने कहा कि वह राजनीति के बीच वैक्सीनेशन को लेकर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे. उनका कहना है कि जिस तरह मीडिया या अखबारों में लगातार सुर्खियां बनी हुई है तो कॉम्प्लिकेशन तो हर एक चीज में है. अब भी कोरोना खत्म नहीं हुआ क्योंकि वैक्सीन अभी भी लग रही है.
डॉ. राजन ने कहा कि हम सरकार को कहते रहे 800 मेरे समय में और 2 हजार डॉक्टर मर गए और हमें सरकार की तरफ से जवाब मिला कि हमारे पास इसका डाटा नहीं है. उन्होंने कहा कि कोविड का एक भी टेस्ट बिना आधार कार्ड के नहीं होता था. अस्पताल में एडमिशन भी आधार कार्ड के बिना नहीं होता था और सरकार कहती है कि हमारे पास डाटा नहीं है. उसके बावजूद 2 हजार डॉक्टरों की मौत आज कहीं ना कहीं भुला दी गई.
INPUT: KULWANT SINGH
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