Delhi News: महिला आयोग की हेल्पलाइन अब चला रहे आदमी, इनकी आवाज सुनकर ही फोन रख देंगी लड़कियां- स्वाति मालीवाल
Delhi News in Hindi: स्वाती मालीवाल ने कैलाश गहलोत की महिला हेल्पलाइन शुरू की जाने की फोटो पर अपनी प्रतिक्रिया दी. कहा कि अब हेल्पलाइन आदमी चला रहे हैं. जो लड़कियां रेप और तस्करी जैसे जघन्य अपराध रिपोर्ट करने के लिए कॉल करेंगी, वो तो लड़कों की आवाज सुनकर ही फोन रख देंगी.
Delhi News: दिल्ली के महिला एवं बाल विकास मंत्री कैलाश गहलोत ने सोमवार को महिला हेल्पलाइन 181 को डीसीडब्ल्यू के बजाय उनका विभाग चलाएगा जलाने की बात कही थी. साथ ही कहा था कि परिवर्तन के लिए यह नंबर कुछ दिनों के लिए बंद रहेगा. जिसके बाद गुरुवार को एक बार फिर से इस हेल्पलाइन नंबर 181 को फिर से शुरू कर दिया गया है. जिसको लेकर कैलाश गहलोत ने एक्स पर फोटो शेयर की है.
एक्स पर ऑफिस की फोटो शेयर करते हुए कैलाश गहलोत ने लिखा है कि महिला हेल्पलाइन नंबर 181 की सेवा महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा शुरू कर दी गई है. उन्होंने कहा कि कल शाम 4:58PM से फिर से चालू होने के बाद से आज दोपहर 2PM तक कुल 1,024 कॉल्स रिसीव की गई हैं.
वहीं इसी को लेकर स्वाति मालीवाल ने भी एक्स पर पोस्ट किया. जिसमें उन्होंने लिखा कि दिल्ली सरकार ने दिल्ली महिला आयोग की 181 हेल्पलाइन बंद करके खुद चलाने का निर्णय लिया है. इसकी सच्चाई मंत्री कैलाश गहलोत द्वारा ट्वीट की गई फोटो से खुद जाहिर होती है. इस हेल्पलाइन को अब आदमी चला रहे हैं. उन्होंने कहा कि जो लड़कियां रेप और तस्करी जैसे जघन्य अपराध रिपोर्ट करने के लिए कॉल करेंगी, वो तो लड़कों की आवाज सुनकर ही फोन रख देंगी. वैसे भी 5 लोगों से हेल्पलाइन नहीं चलती.
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स्वाति ने कहा कि दिल्ली महिला आयोग की हेल्पलाइन पे रोज 2000 से 4000 कॉल आती थी, जिसको 45 महिला काउंसलर्स सुनती थीं. सबके पास सोशल वर्क या साइकोलॉजी में मास्टर्स डिग्री थी. दिनभर कम से कम 20 लड़कियां एक शिफ्ट में हेल्पलाइन चला रही थी और ग्राउंड पर 136 महिला काउन्सेलर कॉल आने के बाद लड़कियों के पास पहुंचती थी.
स्वाति मालीवाल ने कहा कि सरकार वाली महिला हेल्पलाइन सिर्फ पहले की तरह एक पोस्ट ऑफिस का काम करेगी. केस पुलिस को आगे फॉरवर्ड करेगी. इसीलिए जब 2013 से 2016 तक दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री कार्यालय में ये हेल्पलाइन चलती थी, तब 70 प्रतिशत कॉल पे कोई काम नहीं होता था. ये फोटो दर्शाती है कि फिस से वही हाल होने वाले हैं.
उन्होंने कहा कि महिलाओं का मुद्दा बहुत संवेदनशील होता है. इसको हठ से नहीं, सूझ-बूझ से चलाना चाहिए. जो सिस्टम अच्छे चल रहे है उनको बंद करके उनपे दिन रात मेहनत करने वाली लड़कियों को बेरोजगार नहीं करना चाहिए.