Aam Aadmi Party MLA: दिल्ली में आप की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं. मनी लॉन्ड्रिंग में AAP के स्वास्थ्य मंत्री पहले ही पहले ही जेल में बंद हैं. वहीं शराब नीति को लेकर मनीष सिसोदिया पर भी CBI की तलवार लटक रही है. साथ ही दिल्ली LG वी.के. सक्सेना ने आप सरकार द्वारा खरीदी गई बसों की जांच के लिए CBI को निर्देश दिए हैं. वहीं 7 साल पहले बुराड़ी थाने में हुए हमले के मामले में आम आदमी पार्टी के दो विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी एवं संजीव झा को दोषी करार दिया है. मामले में सजा को लेकर 21 सितंबर को सुनवाई होगी. राउज एवेन्यू स्थित अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट वैभव मेहता की अदालत ने 15 अन्य लोगों को भी दोषी करार दिया है. 


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क्या था पूरा मामला
बता दें कि दोनों विधायक 20 फरवरी 2015 को भीड़ के साथ बुराड़ी थाने पर पहुंचे. दो बच्चों के साथ जबरदस्ती के मामले में ये लोग वहां जमा हुए थे. भीड़ में शामिल विधायक आरोपियों को उनके सुपुर्द करने की मांग कर रहे थे, जबकि पुलिस ने इनकार कर दिया. लोगों का कहना था कि पुलिस आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज नहीं कर रही है. इसके बाद वो लोग स्थानिय विधायक संजीव झा के यहां पहुंचे. विधायक मामले की जानकारी के बाद थाने पहुंचे. इसके बाद विधायक की थाने में मौजूद पुलिस कर्मी से बहसबाजी हुई. आप विधायक संजीव झा का आरोप था कि पुलिसकर्मी ने उनके ऊपर बंदूक तान दी थी.  स्थानीय लोगों के अनुसार पुलिसकर्मी ने विधायक संजीव झा से कहा था कि पुलिस स्टेशन से बाहर जाओ वर्ना रायफल से ही विधायक बना देंगे. 


विधायक से बदसलूकी की खबर मिलते ही आप के सैकड़ों कार्यकर्ता थाने के बाहर जमा हो गए. इसके बाद भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठी चार्ज किया. बुराड़ी थाने में आप कार्यकर्ताओं और पुलिस के बीच जमकर टकराव हुआ. लाठीचार्ज में कई आप कार्यकर्ता घायल हुए. पुलिस का कहना था कि लोगों ने पत्थरबाजी की. इसके बाद उन्हें मजबूरन लाठी चार्ज करना पड़ा. इस टकराव में 9 पुलिसकर्मी भी जख्मी हुए थे. इसके अलावा पुलिस की 4-5 गाड़ियां भी क्षतिग्रस्त हो गई थीं. पुलिस ने उस समय 7 लोगों को गिरफ्तार किया था.


इस पूरे कांड में विधायक संजीव झा के साथ विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी भी मौजूद थे. वहीं पुलिस ने विधायक संजीव झा के साथ विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी के खिलाफ भीड़ को भड़काने, दंगा करने, सरकारी काम में बाधा डालने, सरकारी कर्मचारी को चोट पहुंचाने, समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज किया था. उस समय दिल्ली पुलिस कमिश्नर बीएस बस्सी ने कहा था कि जरूरत पड़ने पर विधायकों को गिरफ्तार भी किया जाएगा. 7 साल तक चले मामले की सुनवाई के दौरान आखिरकार कोर्ट ने दोनों विधायकों को दोषी करार दिया.


वहीं इस मामले में विधायकों के वकील ने कहा कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण था. उनके मुवक्किल विधायक भीड़ को शांत कराने के लिए वहां पहुंचे थे. इसके लिए विधायकों की तरफ से 14 गवाह पेश किए गए. वहीं इस मामले में अदलत ने कहा कि दोनों विधायक अखिलेश पति त्रिपाठी और संजीव झा पुलिस को सबक सिखाना चाहते थे. दोनों विधायक न केवल भीड़ का हिस्सा थे, बल्कि उसे उकसा रहे थे. चश्मदीद गवाहों के बयानों के अनुसार वे बल प्रदर्शन कर पुलिस को डराने का प्रयास कर रहे थे. पुलिस ने यह साबित कर दिया कि घटना के समय दोनों विधायक वहां मौजूद थे. यहां तक की भीड़ को भड़काने में भी उनकी अहम भूमिका थी. हालांकि, कोर्ट ने इस मामले में सरकारी संपति को नुकसान पहुंचाने और आपराधिक साजिश के आरोपों को खारिज कर दिया है.


कोर्ट ने इन दोनों विधायकों के अलावा 15 अन्य लोगों को भी दोषी करार दिया है. वहीं अदालत ने इस मामले में 10 आरोपियों को बरी कर दिया है.