Delhi News: देश की राजधानी दिल्ली में आज भी कई इलाके ऐसे हैं, जिन्हें मूलभूत सुविधाओं के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है. ऐसी ही कुछ तस्वीर सामने आई है बुराड़ी इलाके के कौशिक इन्क्लेव A-ब्लॉक से, जहां पर रहने के लिए आलीशान मकान, फ्लैट्स बने हुए हैं, साथ ही यहां पर लोगों ने गर्मी से बचने के लिए AC, कूलर भी लगाकर रखें हैं, लेकिन इसके लिए जरूरी बिजली का कनेक्शन ही इनके पास नहीं है. 


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बिजली नहीं होने की वजह से कई लोग अपने घर को छोड़कर दूसरी जगह किराए के मकान पर रहने को मजबूर हैं. कुछ लोगों ने तो अपने घरों पर सेल के बोर्ड भी लगा दिए हैं. स्थानीय विधायक व सांसद मनोज तिवारी और केजरीवाल सरकार दोनों से गुहार लगाने के बाद भी समस्या का कोई समाधान नहीं हुऐ. चिलचिलाती गर्मी में परेशान लोग दिल्ली सरकार की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े करते नजर आए. 


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सरकार से नाराजगी
दिल्ली की AAP सरकार ने बिजली और पानी जैसी मूलभूत जरूरतों के मुद्दे पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की है. वहीं लोगों को राहत देने के उद्देश्य से बिजली पर सब्सिडी  दी गई, लेकिन बुराड़ी इलाके में बिजली नहीं होना AAP पर कई सवालिया निशान लगाता है. 


बिल्डरों ने झूठ बोलकर बेची जमीन
स्थानीय जनता यहा के जनप्रतिनिधियों बेहद नाराज है. वहीं यहां रहने वाली महिलाओं का आरोप ये भी है कि कुछ बिल्डरों ने इन्हें ये कह कर जमीन बेची थी कि यहां कुछ दिन रहने के बाद बिजली, पानी जैसी तमाम तरह की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करा दी जाएंगी, लेकिन एक साल बीतने के बाद भी यहां के लोग मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं.आरोप यह भी है कि कुछ लोगों ने बिजली के मीटर के लिए अप्लाई भी कर दिया, सिक्योरटी भी जमा कर चुके हैं, लेकिन बिजली का मीटर रिजेक्ट कर दिया जाता है. 


दरअसल बुराड़ी में कई ऐसे इलाके हैं, जहां पर बिल्डरों द्वारा झूठ बोलकर अवैध रूप से कालोनियां काटी जाती हैं. बिल्डरों द्वारा लोगों को मूलभूत सुविधाएं देने की बात कही जाती है और फिर उसका खमियाजा प्लॉट खरीदने वाले लोगो को भुगतना पड़ता है. वहीं सरकार से कई बार गुहार लगाने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही. 


प्राइवेट बिजली लेने को मजबूर लोग
भीषण गर्मी के सितम के बीच मजबूरी में यहां रहने वाले लोगों को प्राइवेट बिजली लेनी पड़ रही है, जिसके लिए उन्हें 13 रुपये यूनिट से लेकर 25 रुपये यूनिट तक की कीमत चुकानी पड़ रही है. एक ओर जहां दिल्ली के लोगों को मुफ्त में बिजली मिल रही है, यहां के लोगों को महीने में 5 हजार रुपये तक का बिल देना पड़ता है. 


इनपुट- नसीम अहमद