नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) और भाजपा (BJP) के बीच सियासी वार जारी है. वहीं दिल्ली को सीएम अरविंद केजरीवाल आज यानी सोमवार को विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पेश करने वाले हैं. इस दौरान जोरदार हंगामा होने की आशंका भी हैं. इससे पहले सीएम केजरीवाल ने भाजपा पर दिल्ली सरकार गिराने का आरोप भी लगाया था. इस दौरान उन्होंने कहा था कि बीजेपी उनके विधायकों को 20-20 करोड़ का ऑफर दिया है. इसलिए वो विश्वास प्रस्ताव पेश करेंगे. 


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क्या होता है विश्वास प्रस्ताव
विश्वास प्रस्ताव लाने का काम सत्ता पक्ष करता है. केंद्र में पीएम और राज्य में सीएम विश्वास प्रस्ताव पेश करते हैं. सरकार में बने रहने के लिए विश्वास प्रस्ताव का पारित होना जरूरी है. अगर प्रस्ताव पारित नहीं होता है तो सरकार गिर जाती है. सरकार इस प्रस्ताव को दो स्थितियों में लाती है. पहली स्थिति में सरकार गठन के वक्त बहुमत परीक्षण करने के लिए करती है. वहीं दूसरी स्थिती में केंद्र में केंद्र में राष्ट्रपति या फिर राज्य में राज्यपाल के कहने पर यह प्रस्ताव लाया जाता है. वहीं स्पीकर इस प्रस्ताव को स्वीकार करता है तो सदन में सत्तापक्ष को बोलने का मौका मिलता है. विशेष परिस्थितियों में राष्ट्रपति या राज्यपाल भी सरकार से सदन में विश्वास मत हासिल करने के लिए कह सकते हैं. इस स्थिति में यदि सरकार विश्वास मत जीत जाती है तो 15 दिन बाद विपक्ष दोबारा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकता है.


दिल्ली सीएम इस विश्वास प्रस्ताव को दो कारणों से ला रहे हैं. पहला तो ऑपरेशन लोटस की चर्चा के बीच बहुमत दिखाकर शक्ति प्रदर्शन करना चाहते हैं. दूसरा 6 महीने तक दिल्ली सरकार की चिंता दूर हो जाएगी. इस बीच वो गुजरात चुनाव में मजबूती उतरेंगे.


दिल्ली विधानसभा के विशेष सत्र में शुक्रवार को जमकर हंगामा हुआ था. सेशन के दौरान सदन की कार्रवाई रिकॉर्ड करने के कारण BJP के विधायकों को मार्शल के तहत बाहर कर दिया था. दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी के 62 विधायक हैं, जबकि भाजपा के केवल 8 लोग हैं. इसके चलते विश्वास प्रस्ताव आसानी से पारित हो जाने की संभावना है. विश्वास प्रस्ताव पारित कराने के लिए किसी भी सरकार को दो तिहाई बहुमत चाहिए होता है.