Jhajjar News: इन दिनों दिल्ली सरकार और झज्जर जिला प्रशासन के बीच झज्जर में डीटीसी बसों के चलाए जाने को लेकर एक तरह से गतिरोध चला हुआ है. जहां पिछले दिनों दिल्ली सरकार के तत्कालीन परिवहन मंत्री कैलाश गहलौत ने दिल्ली ढांसा बॉर्डर से हरी झंडी दिखाकर झज्जर के लिए जहां डीटीसी के बसें शुरू की थी. वहीं बाद में गहलौत के भाजपा में शामिल होने के साथ ही उनकी यह योजना एक तरह से खटाई में पड़ गई.


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बताया जाता है कि दिल्ली नजफगढ़ क्षेत्र से वाया बादली होकर झज्जर के लिए डीटीसी बसों के पांच टाईम टेबल निर्धारित किए गए थे. उन पर काम भी हो रहा है और दो बस नियमित रूप से चल भी रही है, लेकिन इन बसों को झज्जर बस स्टैंड के भीतर प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है. यह बसें बस स्टैंड से करीब आधा किलोमीटर की दूरी पर खड़ी होती है और वहीं से अपनी सवारियां भरकर नजफगढ़ के लिए चलती है. 


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इस रूट पर चलने वाली प्राईवेट बसों के संचालकर भी दिल्ली सरकार द्वारा शुरू की गई इन बसों का विरोध कर रहे हैं. कारण साफ है दिल्ली सरकार की तरफ से डीटीसी बसों में महिलाओं के लिए सफर निशुल्क है और ऐसा होने से स्थानीय निजी बसों को इसका सीधा तौर पर नुकसान है. इसी के चलते निजी बस संचालकों द्वारा भी इनका विरोध किया जा रहा है. बुधवार को झज्जर जिले के गांव बादली की बड़ी चौपाल में एक पंचायत का आयोजन किया गया. 


इस पंचायत में झज्जर जिला प्रशासन और निजी बस संचालकों की कार्रवाई को लेकर रोष जाहिर किया गया. पंचायत में निजी बस के संचालक भी पहुंचे. उन्होंने पंचायत में प्रशासन और पंचायत दोनों का सहयोग करने का आश्वासन दिया. उनका कहना था कि वह डीटीसी बसें चलाए जाने का सहयोग करेंगे. पंचायत में डीटीसी बसों का प्रशासन द्वारा शेडयूल जारी न करने और इसमें की जा रही देरी को लेकर भी रोष जाहिर किया गया. बाद में इस मामले में जिला उपायुक्त और एसडीएम से मिलने का फैसला पंचायत में लिया गया. पंचायत में मास्टर रणवीर गुलिया, खाप के प्रधान विनोद बादली, सामाजिक कार्यकर्ता अजीत ठेकेदार, नीतू आनंद गुलिया, हिमल पहलवान और सुखबीर नंबरदार सहित सैकड़ो की संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे.


Input: सुमित कुमार