नई दिल्ली: दिल्ली जल बोर्ड (DJB) के अधिकारियों और कॉर्पोरेशन बैंक (अब यूनियन बैंक ऑफ इंडिया) की मिलीभगत से कथित दिल्ली जल बोर्ड को 20 करोड़ रुपये का चूना लगाने के मामले में अब दिल्ली LG ने FIR के आदेश दिए हैं. मिली जानकारी के अनुसार साल 2012-2019 के बीच उपभोक्ताओं से 20 करोड़ रुपये इकट्ठा किए गये थे, जो दिल्ली जल बोर्ड के खाते में नहीं पहुंचे. 


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क्या है मामला
साल 2012 में दिल्ली जल बोर्ड ने कॉर्पोरेशन बैंक को उपभोक्ताओं से बिल और रिकवरी जिम्मेदारी दी थी. बैंक ने ये काम आगे एक दूसरी निजी कंपनी को दे दिया जो कॉन्ट्रैक्ट का सीधे तौर पर उल्लंघन बताया जा रहा है. दिल्ली जल बोर्ड ने साल 2012 में तीन साल के लिए और फिर साल 2016, 2017 और 2019 में ये कॉन्ट्रैक्ट बैंक के साथ आगे बढ़ाया. साल 2019 में इस हेरा-फेरी की जानकारी भी मिल गई थी लेकिन उसके बावजूद भी दिल्ली जल बोर्ड ने बैंक के साथ कॉन्ट्रैक्ट जारी रखा. 


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कॉन्ट्रैक्ट के नियमों के अनुसार उपभोक्ताओं से बिल की राशि इकट्ठा करने वाले बैंक को 24 घंटे के अंदर ये पैसा दिल्ली जल बोर्ड के खाते में जमा करना होता है. लेकिन दिल्ली जल बोर्ड और बैंक अधिकारियों ने इस नियम का उल्लंघन किया. सालों तक उपभोक्ताओं से मिली पानी के बिल की राशि दिल्ली जल बोर्ड के बैंक खातों में जाने की बजाय एक प्राइवेट बैंक के खाते में जाती रही.


साल 2012-2019 के बीच कई वित्तीय अनियमितताएं बरती गई और जो 20 करोड़ रुपये बैंक के खाते से दिल्ली जल बोर्ड के खाते में ट्रांसफर होने थे, वो पैसा दिल्ली जल बोर्ड के पास नहीं पहुंचा.


बिल की राशि जो उपभोक्ताओं से कैश में मिली वो कैश फेडरल बैंक के खाते में जमा किया गया. फिर उसे थर्ड पार्टी ने निजी कंपनी के खाते में भेजा और वहां से ये पैसा दिल्ली जल बोर्ड को भेजा गया.


दिल्ली LG ने इस पूरे मामले में FIR के आदेश दिए हैं. साथ ही 15 दिनों के अंदर इस पूरे मामले पर मुख्य सचिव से रिपोर्ट मांगी है.  जिसके बाद इसके जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई की जा सके.