Delhi News: धौलाकुआं में झुग्गियों पर चला बुलडोजर, रोती-बिलखती महिलाओं ने सरकार पर लगाया ये आरोप
Delhi News: धौलाकुआं की झुग्गियों में PWD ने बुलडोजर चलाकर सैकड़ों लोगों को बेखर कर दिया, जिसके बाद रोती बिलखती महिलाओं ने दिल्ली की AAP सरकार और केंद्र की BJP सरकार पर सवाल उठाए.
Delhi News: हाल ही में दिल्ली के तुगलकाबाद किला इलाके में नगर निगम द्वारा अतिक्रमणरोधी अभियान चलाया गया तो वहीं आज धौलाकुआं की झुग्गियों में PWD ने बुलडोजर चलाकर सैकड़ों लोगों को बेखर कर दिया. चिलचिलाती धूप और गर्मी के बीच में यहां खड़े लोग अपने आशियाने के ढ़हने का तमाशा देखते रहे, वहीं रोती बिलखती महिलाओं ने दिल्ली की AAP सरकार और केंद्र की BJP सरकार पर सवाल उठाए.
राजधानी दिल्ली में हुए नगर निगम चुनाव में BJP और AAP दोनों पार्टियों ने झुग्गियों में रहने वाले लोगों को मकान देने की घोषणा की थी. चुनाव के बाद झुग्गियों में रहने वाले लोगों को मकान तो मिला नहीं, साथ ही जिन घरों (झुग्गियों) में रहकर वो अपना गुजर-बसर कर रहे थे वो भी गिरा दिए गए.
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आज धौलाकुआं की सैकड़ो झुग्गियों को तोड़ दिया गया. यहां के लोगों का कहना है कि इसके पहले भी कई बार झुग्गी तोड़ने का नोटिस यहां लगाया गया था, तब मीडिया ने उस खबर को दिखाया तो उस समय के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मीडिया से जानकारी का हवाला देते हुए PWD को झुग्गी नहीं तोड़ने का आदेश दिया था. लेकिन आज सुबह ही PWD बुलडोजर और भारी पुलिस बल के साथ यहां पर आ गई और झुग्गियों को तोड़ना शुरू कर दिया. इस दौरान कुछ लोगों ने अपना सामान बाहर निकाला, वहीं कुछ लोग ऐसे भी थे, जिन्हें सामान निकालने का भी मौका नहीं मिला.
लोगों का कहना है कि चुनाव के समय आम आदमी पार्टी (AAP) ने कहा था कि जहां झुग्गी वहां मकान देंगे, हमने उनपर विश्वास करके AAP को वोट दिया और दिल्ली के साथ ही नगर निगम में भी AAP की सरकार बनाई. आज सरकार ने हमें मकान तो दिया नहीं बल्कि हमारे आशियाने को भी तोड़ दिया.
धौलाकुआं की इन सैकड़ों झुग्गियों में दिहाड़ी मजदूर रहते हैं जो हर दिन मजदूरी करके अपना और अपने परिवार का पेट पालते हैं. हर दिन की कमाई से ये महज दो वक्त की रोटी का ही इंतजाम कर पाते हैं. सिर से छत छिनने के बाद अब इस तपती धूप में छत की खोज करना इन लोगों के लिए काफी मुश्किल है. ऐसे में अब देखना होगा कि सरकार इनके रहने का कोई इंतजाम करती है या फिर इन्हें दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती हैं.
Input- Mukesh Singh