Delhi News: दिल्ली के सरकारी स्कूलों के पांच हजार शिक्षकों के तबादले पर विवाद गहराता जा रहा है. इसके लिए सत्तारूढ़ AAP और भाजपा के नेता एक-दूसरे को जवाबदेह ठहरा रहे हैं. भाजपा के दिल्ली के सभी सातों लोकसभा सांसदों ने रविवार को इस संबंध में उपराज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा और शिक्षकों के तबादले को रोकने की मांग की.


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दुर्भावनापूर्ण तबादला
ज्ञापन देने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि दिल्ली सरकार ने बहुत ही दुर्भावनापूर्ण तरीके से शिक्षकों को तबादला किया है. इससे जहां शिक्षकों को परेशानी होगी, वहीं शिक्षा व्यवस्था प्रभावित होगी. छात्रों का बहुत नुकसान होगा. उन्होंने कहा कि इसलिए शिक्षा के हित में और छात्रों के हित में यह तबादला रुकना चाहिए.


नहीं कोई तबादला नीति
मनोज तिवारी ने आरोप लगाया कि सरकार के पास कोई समुचित तबादला नीति ही नहीं है. उन्होंने कहा कि तबादले की कोई तर्कपूर्ण नीति होनी चाहिए. इस तरीके से मनमाने ढंग से तबादला करने से किसी का भला नहीं होगा, इससे व्यवस्था चरमरा जाएगी और छात्रों को बहुत अहित होगा. इसलिए सरकार को तबादले के लिए कोई तर्कपूर्ण नीति बनानी चाहिए.


परेशान हैं शिक्षक
मनोज तिवारी ने कहा कि जिन शिक्षकों को तबादला किया गया है वो बहुत परेशान हैं. वो हमारे नेताओं के यहां पहुंचकर अपनी पीड़ा और आम आदमी पार्टी की सरकार की मनमानी के बारे में बता रहे हैं. ऐसे में सरकार को सभी के हित में अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए और शिक्षकों के तबादले को रोकना चाहिए.


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आतिशी ने बताया साजिश
आपको बता दें  रविवार को दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने दिल्ली में 5000 शिक्षकों के ट्रांसफर के आदेश पर रोक लगा दिया था. दिल्ली सरकार की शिक्षा मंत्री आतिशी ने शिक्षकों को बधाई देते हुए 'षड्यंत्र' नाकाम होने पर खुशी जताई है. आतिशी ने इसेक लिए बीजेपी को इसका जिम्मेदार बताया. उन्होंने अपने X हैंडल पर लिखा, "दिल्ली के सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को बधाई! 2 जुलाई को 5000 से ज्यादा शिक्षकों के ट्रांसफर के ऑर्डर को वापस ले लिया गया है. भाजपा ने दिल्ली की शिक्षा क्रांति को रोकने के लिए एलजी साहब के माध्यम से हजारो शिक्षकों के ट्रांसफर करवा दिए थे, लेकिन दिल्ली वालों के संघर्ष के कारण, यह षड्यंत्र फेल हो गया. केजरीवाल सरकार दिल्ली के बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है, चाहें इसके लिए हमें कितनी भी लड़ाई लड़नी पड़े."