Delhi News: केंद्र और राज्यों के सभी कर विभाग 16 मई से 15 जुलाई तक विशेष अभियान चलाएंगे. इसमें संदिग्ध जीएसटी खातों की पहचान करने के साथ फर्जी बिलों को जीएसटी नेटवर्क (GSTN) के बाहर करने के लिए जरूरी कदम उठाए जाएंगे. यदि संबंधित टैक्सपेयर्स काल्पनिक पाया जाता है, तो उस रजिस्ट्रेशन को रद्द किया जा सकता है. CBIC के अभियान पर दिल्ली के बाजारों में भी गहमागहमी बढ़ गई है. सभी व्यापारी संगठन एक-दूसरे से चर्चा कर रहे हैं.


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चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) के चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने बताया कि 4 मई को ऑर्डर आया है.  इसके बाद से तमाम मार्केट पदाधिकारियों, फैक्ट्रीओनर्स और व्यापारियों के फोन आ रहे हैं. सभी की अपनी चिंताएं हैं. जब-जब इस तरह के अभियान चले हैं, तब-तब बाजार में माहौल तनावपूर्ण रहा है. वैट के दौर में भी ऐसे अभियान चलते थे.


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तब देखा जाता था कि मार्केट में इंस्पेक्टर राज और रिश्वतखोरी को बढ़ावा मिलता था. दुकान-दुकान जाकर इंस्पेक्टर विजिट करते थे कि इसमें कई बार ईमानदार व्यापारी को भी दिक्कत झेलनी पड़ती थी, साफ-सुथरा काम करने के बावजूद छोटी-मोटी त्रुटि पर प्रताड़ना सहनी पड़ती है. फर्जी कंपनी चलाने वाले बिना एड्रेस के काम कर रहे हैं. उन पर असर नहीं पड़ता है.


सीटीआई महासचिव विष्णु भार्गव और रमेश आहूजा ने कहा कि यदि किसी मार्केट में फर्जी व्यापारियों की सूचना है, तो रजिस्टर्ड मार्केट असोसिएशन से संपर्क किया जा सकता है. उनकी मदद लेकर दोषियों को पकड़ सकते हैं. बाजार में अधिकारी पहुंचकर दुकान-दुकान पर सर्वे करेंगे, तो पैनिक फैलता है. इस विषय में दिल्ली के जीएसटी कमिश्नर से भी मुलाकात करेंगे. बता दें कि देश में जीएसटी कर प्रणाली के तहत 1.39 करोड़ टैक्सपेयर्स रजिस्टर्ड हैं.


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जैनुअन डीलर्स को नहीं हो परेशानी


सीटीआई चेयरमैन बृजेश गोयल ने कहा कि फर्जी डीलर्स या बोगस डीलर्स को खत्म होना चाहिए. इनके खिलाफ एक्शन हो. मगर,  कई डीलर्स ऐसे होते हैं, जिसके काम में जाने-अनजाने गड़बड़ी हो जाती है. ये कई काम में व्यस्त होते हैं. इनकी कई दुकान और फैक्ट्री होती हैं. कई बार सरकार को भी नहीं मालूम चल पाता कि कहां गड़बड़ी हुई है? ऐसे में व्यापारी को कैसे पता चलेगा?


इस केस में यदि कोई खरीदारी करेगा, तो वो भी फंसेगा. ग्राहक ने किसी दुकान से माल परचेज किया है, बाद में पता चला कि उसका रजिस्ट्रेशन फर्जी कागजों पर हुआ है. ऐसे में ये बिल बाद में परेशानी पैदा करेंगे. सरकार को इस पर ध्यान रखना होगा कि जैनुअन डीलर्स को परेशानी नहीं हो. यदि किसी जैनुअन डीलर ने गलत लोगों के साथ डील कर लिया है, तो उसे आरोपी बनाने के बजाए विक्टिम समझा जाए. उनके ऊपर कोई सख्ती नहीं हो. इन दिनों आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से डेटा जुटाकर एजेंसी के हाथ मजबूत हो गए हैं.


(इनपुटः बलराम पांडेय)