Delhi News: दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार को सेवा विस्तार दिए जाने के केंद्र सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिल गई है. कोर्ट ने दिल्ली सरकार के एतराज को खारिज करते हुए कहा है कि मौजूदा कानून के मुताबिक केंद्र को यह फैसला लेने का अधिकार है और सेवा विस्तार दिए जाने का फैसला कानून का उल्लंघन नहीं कहा जा सकता है. दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी नरेश कुमार का कार्यकाल 30 नवंबर को खत्म हो रहा है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ये भी पढ़ें: Delhi News: कांग्रेस ने AAP और BJP पर साधा निशाना, कहा- आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति कर लोगों को कर रहे गुमराह


 


सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में दिल्ली सर्विस बिल 2023 का हवाला दिया, जिसके तहत दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर केंद्र सरकार का एकाधिकार हो गया है. हालांकि इस कानून को दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और यह मसला अभी संविधान पीठ के सामने पेंडिंग है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक इस कानून के पर रोक नहीं लगाई है.


सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मौजूदा कानून के मुताबिक केंद्र सरकार को चीफ सेक्रेटरी की नियुक्ति का अधिकार हासिल है. इसके तहत केंद्र का ये भी अधिकार बनता है कि वो सेवानिवृत्त होने जा रहे किसी अधिकारी को सेवा विस्तार दे सकती है.


सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि दिल्ली में चीफ सेक्रेटरी का पद अहम है. उसे उन विषयों (मसलन पब्लिक आर्डर, पुलिस और जमीन) से जुड़े मामलों को भी देखना होता है, जो दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते हैं. इन विषयो से जुड़ी कार्यकारी और विधायी शक्तियां सिर्फ केंद्र सरकार के दायरे में आती है. इस लिहाज से भी चीफ सेक्रेटरी की नियुक्ति या सेवा विस्तार में केंद्र का अधिकार बनता है.


मंगलवार को हुई सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उसने मौजूदा चीफ सेकट्री नरेश कुमार को 6 महीने का सेवा विस्तार देने का फैसला लिया है. दिल्ली सरकार ने इस फैसले पर एतराज जाहिर किया था. सुप्रीम कोर्ट ने इस पर केंद्र सरकार से पूछा था कि अगर दिल्ली सरकार नरेश कुमार को  चीफ सेकट्री के पद पर नहीं रखना चाहती तो  आप उस शख्श के नाम पर ही क्यों पड़े है? क्या आपके पास इस पद के लिए एक ही आईएएस अधिकारी है? आप चाहे तो नए शख्श की नियुक्ति खुद कर सकते हैं, अगर आप सेवा विस्तार का फैसला ले रहे हैं तो आपको यह साफ करना होगा कि किस प्रावधान  से आप ऐसा फैसला ले रहे हैं.


आज हुई सुनवाई में दिल्ली सरकार की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील दी कि साल 2020 और 2023 में दिए गए. फैसले के मुताबिक केंद्र सरकार दिल्ली सरकार को विश्वास में लेकर ही प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति कर सकती है. चीफ सेक्रेटरी को सिर्फ उन्हीं विषयों से जुड़े मामलों को नहीं देखना होता जो केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आते हैं. उसे सैकड़ों दूसरे मामलों को भी देखना होता है, जिन पर दिल्ली सरकार का अधिकार क्षेत्र भी बनता है. सिंघवी ने दलील दी कि केंद्र सरकार ऐसे ही अधिकारी को सेवा विस्तार देने पर क्यों अड़ी है, जिस पर दिल्ली सरकार को विश्वास नहीं है. सिंघवी ने ये भी सुझाव दिया कि एलजी और चीफ सेक्रेटरी आपस में बैठकर 5-10 नाम पर चर्चा कर सकते है और जिस नाम को एलजी चुन लेंगे. दिल्ली सरकार उसे भी चीफ सेक्रेटरी के तौर पर स्वीकार कर लेगी.


एसजी तुषार मेहता ने कहा कि मौजूदा नियम केंद्र सरकार को चीफ सेक्रेटरी की नियुक्ति और सेवा विस्तार का अधिकार देते है. चीफ सेक्रेटरी को सेवा विस्तार देना कोई अनोखा फैसला नहीं है. पिछले 10 सालों में देश के विभिन्न राज्यों में 57 चीफ सेकट्री को सेवा विस्तार दिया गया है.