Delhi Pollution: दिल्ली के निवासियों ने प्रशासन से राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण के खतरनाक स्तर की जांच करने का आग्रह किया और दीर्घकालिक समाधान की मांग की. क्योंकि वायु गुणवत्ता सूचकांक ( एक्यूआई ) दिवाली के बाद दूसरे सप्ताह भी 'बहुत खराब' श्रेणी में बना हुआ है.


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खराब श्रेणी में प्रदूषण 
मंगलवार की सुबह शहर के कई हिस्से धुंध से ढके रहे और कई निवासियों ने खराब वायु गुणवत्ता के बीच सांस लेने में कठिनाई की शिकायत की. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में वायु गुणवत्ता सूचकांक ( एक्यूआई ) आज सुबह 8 बजे तक 355 दर्ज किया गया, जिसे 'बहुत खराब' श्रेणी में रखा गया है. कर्तव्य पथ पर साइकिल चलाने वाले वरुण ने कहा कि मैं पिछले 25 सालों से दिल्ली में रह रहा हूं, मैं पिछले दो-तीन सालों से नियमित रूप से यहां साइकिल चला रहा हूं दिल्ली के एक अन्य निवासी अंकित सचदेवा ने कहा, "हम सुविधाओं के लिए सरकार को कर देते हैं, लेकिन हमें इसे भी ठीक करना होगा. सरकार को प्रदूषण पर लगाम लगाने की जरूरत है.


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जहांगिरीपुरी में 400 पार 
सफर इंडिया के अनुसार, अशोक विहार में एक्यूआई 390, द्वारका सेक्टर 8 में 367, डीटीयू में 366, जहांगिरीपुरी में 417, लोधी रोड में 313, मुंडका में 404, नजफगढ़ में 355, नरेला में 356 दर्ज किया गया। सीपीसीबी के आंकड़ों के अनुसार, आनंद विहार इलाके में वायु गुणवत्ता सूचकांक ( एक्यूआई ) 'गंभीर' श्रेणी में पहुंच गया. आनंद विहार में एक्यूआई 403, प्रतापगंज में 371, पूसा में 320, आरके पुरम में 365, रोहिणी में 415, शादीपुर में 359 और विवेक विहार में 385 दर्ज किया गया.


एक्यूआई को '200 और 300' के बीच 'खराब', '301 और 400' के बीच 'बहुत खराब', '401-450' के बीच 'गंभीर' और 450 और इससे ऊपर 'गंभीर प्लस' माना जाता है. सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है और कोई भी धर्म प्रदूषण पैदा करने वाली किसी भी गतिविधि को प्रोत्साहित नहीं करता है. पीठ ने कहा कि प्रदूषण मुक्त वातावरण में रहने का अधिकार प्रत्येक नागरिक का मौलिक अधिकार है, जिसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा संरक्षित किया गया है. प्रथम दृष्टया, हमारा मानना ​​है कि कोई भी धर्म ऐसी किसी भी गतिविधि को प्रोत्साहित नहीं करता है जो प्रदूषण पैदा करती है या लोगों के स्वास्थ्य से समझौता करती है. अगर इस तरह से पटाखे जलाए जाते हैं, तो इससे नागरिकों के स्वास्थ्य के मौलिक अधिकार पर भी असर पड़ता .