Delhi News: अक्सर देखा गया है कि बसों से हमेशा कोई न कोई सड़क दुर्घटनाएं होती रहती है. वहीं सड़क दुर्घटनाओं को रोकने और बस यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली सरकार कुछ कदम उठाएं हैं. परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने बुधवार को मीडिया के सामने कहा कि बस ड्राइवरों के लिए नई गाइडलाइंस लागू की जा रही है. पिछले कुछ दिनों में कई बस हादसे हुए थे. इस पर संज्ञान लेते हुए सरकार ने इस पहल की घोषणा की है.    


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सड़क दुर्घटना होगी कम 
डीटीसी और डिम्ट्स के सभी ड्राइवरों की ड्यूटी अब आधार-बेस्ड सिस्टम के माध्यम से निर्धारित की जाएगी. इस नई व्यवस्था के लिए एक विशेष सॉफ्टवेयर विकसित किया जा रहा है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि कोई भी ड्राइवर डबल शिफ्ट न कर सके. इस उद्देश्य के लिए, सभी ड्राइवरों का एक यूनिफाइड डेटाबेस तैयार किया जा रहा है, जिसे सभी डिपो मैनेजर एक्सेस कर सकेंगे. इस प्रणाली के जरिए, ड्यूटी एलोकेशन में पारदर्शिता बढ़ेगी और ड्राइवरों के काम का सही संतुलन सुनिश्चित किया जाएगा.


वहीं अब हर एक डिपो में बायोमेट्रिक फेस रिकॉग्निशन सिस्टम लगाया जाएगा. इसके लिए नोटिस जारी कर दिया गया है. जब कोई भी ड्राइवर ड्यूटी पर आएगा तो ये सिस्टम ड्राइवर के चेहरे से उसकी पहचान करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि वह डबल ड्यूटी न कर सके. इसके बाद भी अगर किसी भी ड्राइवर क डबल ड्यूटी की शिकायत मिलती है तो उसके लिए डिपो के मैनेजर को जिम्मेदार समझा जाएगा. इतना ही नहीं डिपो मैनेजर के खिलाफ सख्त एक्शन भी लिया जाएगा. 


 ड्राइवर का होगा टेस्ट
डीटीसी और क्लस्टर बसों के कई ड्राइवर दूसरे राज्यों से आते हैं, जिनके पास अन्य राज्यों से जारी हैवी वीकल चलाने का लाइसेंस होता है. वर्तमान में, ऐसे ड्राइवरों को इंडक्शन से पहले डीटीसी के नंद नगरी ट्रेनिंग स्कूल में ट्रेनिंग दी जाती है, लेकिन अब दिल्ली सरकार ने ड्राइवरों की स्किल्स को परखने के लिए ड्राइविंग सिम्युलेटर खरीदने का निर्णय लिया है. आने वाले समय में, ड्राइवरों का टेस्ट इन्हीं सिम्युलेटर्स पर किया जाएगा. यदि सिम्युलेटर टेस्ट के दौरान यह पाया गया कि ड्राइवर सुरक्षित रूप से बस नहीं चला सकता, तो उसे तुरंत रिजेक्ट कर दिया जाएगा. इस कदम का उद्देश्य दिल्ली की सड़कों पर अधिक सुरक्षित और कुशल बस सेवा सुनिश्चित करना है.


ड्राइवरों को नहीं मिलेगी दूसरी जगह नौकरी 
वहीं इस समय कोई भी ड्राइवर एक डिपो या क्लस्टर से निकाल दिया जाता है तो उसे दूसरे डिपो में नौकरी मिल जाती है. इसको रोकने के लिए ड्राइवरों का कॉमन पूल बनाया जाएगा. अगर किसी ड्राइवर ने  कोई उल्लंघन किया है या उससे कोई एक्सिडेंट हुआ है और इस कारण उसे डिपो या क्लस्टर से ब्लैक लिस्ट कर दिया गया है, तो यूनिफाइड डेटाबेस की मदद से अब उसके बारे में तुरंत जानकारी मिल जाएगी. साथ ही उस बस ड्राइवर को किसी दूसरी जगह नौकरी नहीं मिल पाएगा. 


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ड्राइवरों का होगा सरकारी अस्पताल में चेकअप
इतना ही नहीं अब बस ड्राइवरों को ड्रंक एन्ड ड्राइविंग से रोकने के लिए सभी डिपो पर ब्रीद एनालाइजर लगाए जाएंगे. डिपो मैनेजर को ड्यूटी देने से पहले सभी ड्राइवर का ब्रीदिंग टेस्ट लेना होगा. अब किसी भी ड्राइवर को रखने से पहले उनका हेल्थ चेकअप करवाया जाएगा. वहीं 45 वर्ष होने के बाद हर 5 साल पर प्रत्येक ड्राइवर का चेकअप होगा. पहले ड्राइवर प्राइवेट डॉक्टर से चेकअप करवा लेते थे, लेकिन अब उनका चेकअप दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में ही होगा