Delhi News: उत्तर पूर्वी दिल्ली के सीलमपुर विधानसभा के गौतमपुरी वार्ड 226 पानी की टंकी के पास का हाल बेहाल है. जहां स्थानीय निवासियों को कूड़े की समस्या से जूझना पड़ रहा है. साफ सफाई के लिए सरकार के किए वादे फेल साबित हो रहे हैं. सरकार ने कहा था कि दिल्ली को कूड़ा और साफ-सुथरा करेंगे, लेकिन यहां की तस्वीरों कुछ और ही बयां कर रही है. यहां बड़े नाले में कूड़े और प्लास्टिक का अंबार लगा हुआ है. इससे नाला लबालब भरा हुआ है.


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बता दें कि कुछ समय पहले यहां बाहर भी निकाला गया था, जिसे उठाया भी नहीं गया. इससे आसपास के स्थानीय निवासियों को बीमारी का डर सताने लगा है. बदबू के कारण लोगों का जीना मुश्किल हो रहा है. इस नाले के दोनों ओर लोगों के घर हैं, आसपास कॉलोनी है और उनके घर के सामने कूड़े का ढेर लगा हुआ है.


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इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस की थीम 'बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन' रहा. दिल्ली में 22 प्रतिशत प्लास्टिक कचरा अभी भी या तो नालों या लैंडफिल साइट्स पर पहुंच रहा है. यह स्थिति तब है जब जून 2024 तक प्लास्टिक कचरे को ट्रीट करने का लक्ष्य भी रखा गया है. एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में रोजाना लगभग 1200 टन कचरा पैदा हो रहा है, लेकिन इसमें से सिर्फ 880 टन कचरे को ही रोजाना रिसाइकिल किया जा रहा है. यानी प्रतिदिन 242 टन कचरा लैंडफिल साइट. इसे पूरी तरह खत्म करने के लिए बहुत तेज कदम उठाने होंगे. फिलहाल एक साल पहले प्रतिबंधित सिंगल यूज प्लास्टिक की 19 वस्तुओं को बंद करने का नियम दिल्ली में काफी हद तक फेल होता नजर आ रहा है.


लोगों का कहना है कि इस कूड़े की बदबू के कारण लोग अपने ही घर में कूलर नहीं चला सकते, एसी नहीं चला सकते. क्योंकि इनके चलने से बदबू पूरे घर में फैल जाती है. प्लास्टिक कचरे का शत-प्रतिशत चक्र होना बेहद मुश्किल नजर आ रहा है. प्रतिबंधित सुपर पर भी राजधानी पूरी तरह नाकाम दिख रही है. प्रतिबंधित वस्तुएं हर जगह दिखाई दे रही हैं. लोगों को अब इनके इस्तेमाल को लेकर कार्रवाई का कोई डर नहीं रह गया है.


दिल्ली के कई इलाकों में देखा जा सकता है कि प्लास्टिक कचरे का भयावह रूप अगर इसका सही तरीके से निस्तारण नहीं किया गया तो यह एक बड़ा खतरा बन जाएगा. यह वह प्लास्टिक है जो इस तरह फेंके जाने से नालियों में जमा हो रहा है.


Input: राकेश चावला