Delhi News: दिल्ली में `सनातन संत संसद` में जुटेंगे संत, देवकीनंदन ठाकुर करेंगे कथा और मथुरा पर चर्चा
Delhi Devkinandan Thakur Katha: अयोध्या राम मंदिर के बाद अब मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने एवं वास्तविक गर्भगृह पर भव्य श्रीकृष्ण मंदिर निर्माण के लिए आगामी रणनीति पर निर्णय के लिए संत समाज एवं धर्माचार्यों के साथ 18-25 फरवरी को `सनातन संत संसद` आयोजित की जा रही है.
Delhi News: अयोध्या राम मंदिर के बाद अब मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने एवं वास्तविक गर्भगृह पर भव्य श्रीकृष्ण मंदिर निर्माण के लिए आगामी रणनीति पर निर्णय के लिए संत समाज एवं धर्माचार्यों के साथ 25 फरवरी को 'सनातन संत संसद' आयोजित की जा रही है. इसके अन्तर्गत सनातन धर्म पर अर्नगल प्रलाप करने वाले स्वंभुओं, सनातनी परम्पराओं, संस्कृति को भ्रष्ट करने वाले एवं अन्य सनातन विरोधी प्रयासों के विरोध में प्रस्ताव रखे जाएंगे.
देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि भारत देश की पहचान सनातन धर्म, संस्कृति और संस्कारों से है. भारत के प्राचीन मूल्यों का अस्तित्व सनातन, संस्कृति और संस्कारों में निहित है. वर्षों के इंतजार के बाद यह स्वर्णिम समय आया है जब सनातन धर्म को उसका वास्तविक मान-सम्मान देश में राजनैतिक स्तर से भी दिया जा रहा है. यही समय है, जब सभी एकजुट होकर दिव्य भारत एवं सत्य सनातन की पहचान विश्व में प्रखर करें.
हम सनातनी लंबे समय से अपनी आध्यात्मिक धरोहरों एवं धार्मिक अधिकारों के लिये संघर्ष करते आ रहे हैं. बहुसंख्यक होने के बावजदू सनातनियों के भावनाओं और आस्थाओं को नजरअंदाज करते हुए हमे अपने ही देश में याची बना दिया गया. इसके बावजूद भी सनातन समाज सवैधानिक व्यवस्थाओं पर भरोषा करते हुए अपनी पीढ़ी के लिए न्याय की आस करता आया है.
हमें भी अपने भगवान की पूजा का अधिकार है, लेकिन कई स्थानों पर वर्षों से हम इस अधिकार से वंचित किये जाते रहे हैं. अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर के लिए अनगिनत बलिदान और वर्षों की प्रतिक्षा करते हुए सनातनियों ने अपनी पीढ़ियां न्यौछावर की हैं. तब जाकर आज अयोध्या को अपना खोया सम्मान मिल पाया है. देश में पहली बार बहुसंख्यक हिंदु समुदाय की भावनाओं को भी विचार योग्य माना जा रहा है.
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उन्होंने कहा कि कोर्ट से भी हमें न्याय मिलना शुरू हुआ है. सनातन के अच्छे समय का यह शुभ संकेत है. भारतीय संस्कृति और सनातन का यह पुनर्जागरण काल है कि श्रीराम मंदिर के बाद देश में एक सवाल उभरा कि अयोध्या के बाद आगे क्या? इस सवाल के जवाब में सनातनियों भी कई अपेक्षाए हैं. जो पीढ़ियों से वह कहते आ रहे हैं, लेकिन विभिन्न स्तरों पर लगातार अनदेखी की जाती रही है.
अयोध्या में श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के साथ ही ज्ञानवापी में भोलेनाथ के साथ सभी सनातनी चिन्ह मिल चुके हैं, न्यायायिक प्रक्रिया सही दिशा में आगे बढ़ रही है. देवकीनंदन ठाकुर ने कहा कि पूर्ण विश्वास है कि शीघ्र ही काशी में भी सत्य की जीत होगी. देश में जाग्रत सनातनियों को साथ लेकर अब मथुरा में भी श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्तिकरण के लिए प्रयासों को तीव्र करने की आवश्यकता है. इसी संकल्प के साथ जनजाग्रति हेतु इन्द्रप्रस्थ (दिल्ली) में देवकीनंदन ठाकुर द्वारा 18 से 25 फरवरी के मध्य श्रीमद्भागवत कथा और सनातन संत संसद का आयोजन किया जा रहा है.
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने एवं वास्तविक गर्भगृह पर भव्य श्रीकृष्ण मंदिर निर्माण के लिए आगामी रणनीति पर निर्णय के लिए संत समाज एवं धर्माचार्यों के साथ 25 फरवरी को 'सनातन संत संसद' आयोजित की जा रही है. इसके अन्तर्गत सनातन धर्म पर अर्नगल प्रलाप करने वाले स्वंभुओं, सनातनी परम्पराओं, संस्कृति को भ्रष्ट करने वाले एवं अन्य सनातन विरोधी प्रयासों के विरोध में प्रस्ताव रखे जाएंगे.
अल्प समय की तैयारियों के साथ आयोजित हो रहे इस कार्यक्रम में पूज्यनीय संतजनों, धर्माचार्यों से सनातनी धर्मालम्बियों की अपेक्षाओं तथा सम्पूर्ण विश्व में सनातनी भारत की नई पहचान के लिये आगामी रणनीति पर विचार प्राप्त होगें.
'सनातन संत संसद' में चर्चा के लिये निम्न बिन्दुओं को प्रमुखता से शामिल किया गया है-
1. मधुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्तिकरण एवं आगरा जामा मस्जिद से केशव देव प्रतिमाओं की वापसी
2. देश में ईशनिंदा कानून की आवश्यकता एवं रामायण-गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ के रूप में मान्यता
3. सनातनी मंदिरों से सरकारी नियंत्रण से छूट तथा मंदिर कोष द्वारा गुरूकुलम एवं सनातनी शिक्षा की व्यवस्था
4. जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने तथा सनातनी युवक-युवतियों को विवाह हेतु धर्मान्तरण पर रोक
5. समाज को पथभ्रष्ट एवं चरित्र नाश करने वाले अश्लील चलचित्र/गीत/वेब सीरीज पर रोक
Input: Rajkumar Bhati