Eco-Friendly Diwali: दिवाली के दिन लोग अपने अपने परिवार या दोस्तों के साथ पटाखे जलाकर आतिशबाजियां करते हैं. इस त्योहार को लोग अपनों के साथ मनाना चाहते हैं, लेकिन लोग ये भूल जाते हैं कि इन पटाखों से प्रदूषण भी बहुत ज्यादा फैलता है. इस दिवाली पर ईको-फ्रेंडली झालरों, दीयों और पटाखों की मांग बहुत ज्यादा है. ग्रीन पटाखों को दुनियाभर में प्रदूषण से निपटने के एक बेहतर तरीके की तरह देखा जा रहा है. आइए जानते हैं कैसे होते हैं ये ग्रीन पटाखे. 


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ग्रीन पटाके कैसे होते हैं
ग्रीन पटाखों का साइज छोटा होता है और ये किसी तरह का राख नहीं छोड़ते हैं. ये पटाखे डस्ट रिप्रेसेंट मिलाकर बनाए जाते हैं, जिससे हवा में प्रदूषण कम फैले. साधारण पटाखों में बैरियम का उपयोग किया जाता है, जिससे इन पटाखों कि शेल्फ लाइफ तो बढ़ जाती है लेकिन इनसे प्रदुषण बहुत अधिक फैलता है. इससे प्रदुषण ही नहीं बल्कि ध्वनि प्रदुषण भी बहुत ज्यादा होता है. वहीं ग्रीन पटाखे फुटने से वाष्प निकलता है, जो प्रदुषण को कम करने में मदद करता है. इन पटाखों से आवाज कम होते हैं, जिनसे ध्वनी प्रदुषण भी कम होता है. साधारण पटाखों के मुकाबले ग्रीन पटाखों से लगभग 40 से 50 फीसदी तक वायु प्रदुषण कम होता है. ये हवा में ज्यादा विषैले गैस रिलीज नहीं करते हैं. 


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ग्रीन पटाखे कितनी तरह के होते हैं


स्वास (SWAS) 
स्वास का मतलब होता है सेफ वॉटर रिलीजर. इन पटाखों में से जल वाष्प निकलते हैं जो डस्ट को हवा फैलने ही नहीं देते हैं और प्रदूषण को भी कम करते हैं. ये जलने के साथ पानी पैदा करते हैं जिसके कारण सल्फर और नाइट्रोजन जैसी हानिकारक गैस इन्ही में घुल जाती है. 


स्टार (STAR)
ये साधारण पटाखों से कम सल्फर और नाइट्रोजन पैदा करते हैं. इन पटाखों में एल्युमिनियम का इस्तेमाल कम होता है. स्टार का मतलब सेफ थरमाइट क्रैकर होता है. इस पटाखों को फोड़ने से प्रदुषण कम होती है और आवाज भी कम होती है. 


सफल (SAFAL) 
इसका मतलब है, सेफ मिनिमल एल्युमिनियम. इसको फोड़ने पर आवाज बहुत कम होती है.