Magh Purnima 2024: हिंदू धर्म में पूर्णिमा का काफी अधिक महत्व होता है. हर साल फरवरी के महीने में माह की पूर्णिमा मनाई जाती है. पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूरे विधि-विधान से पूजा- अर्चना की जाती है. कहते हैं कि भगवान विष्णु और लक्ष्मी माता की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसी के साथ पूर्णिमा के दिन गंगा में स्नान का भी काफी महत्व माना गया है. तो चलिए जानते हैं माघ माह पूर्णिमा की सही तिथि, पूजा विधि और पौराणिक कथा...


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जानें, क्या है पौराणिक कथा


पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में धनेश्वर नाम का एक ब्राह्मण रहा करता था. उसकी पत्नी का नाम रूपवती था जो कि बहुत ही पतिव्रता और सर्वगुण संपन्न थी, लेकिन उनके पास कोई संतान नहीं थी, जिसकी वजह से वो दिनों काफी चिंतित रहते हैं. इस दौरान नगर में एक महात्मा के आने का उन्हें संदेश मिला. उन्होंने नगर के सभी घरों से दान लिया, लेकिन धनेश्वर की पत्नी जब भी उन्हें दान देने जाती, तो वो उसे लेने से मना कर देते थे.


एक दिन धनेश्वर महात्मा के पास गया और उसने पूछा की हे महात्मन्! आप नगर के सभी लोगों से दान लेते हैं, लेकिन मेरे घर से क्यों नहीं लेते. अगर हमसे कोई भूल हो गई है तो हम ब्राह्मण दंपत्ति आपसे क्षमा याचना करते हैं. धनेश्वर की बात सुनकर महात्मा ने कहा... नहीं विप्र! तुम तो हमेशा आदर-सत्कार करने वाले ब्राह्मण हो. तुमसे भूल तो कभी भी नहीं हो सकती है. इसके बाद महात्मा की बात सुनकर धनेश्वर बोला- हे मुनिवर! फिर आखिर क्या कारण है? जो आप मेरे घर से दान नहीं लेते.


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धनेश्वर के सवालों का जवाब देते हुए महात्मा बोले- हे विप्र! तुम्हारी कोई संतान नहीं है. जो दंपति निसंतान हो उसके हाथ से भिक्षा कैसा ग्रहण कर सकता हूं. तुम्हारे द्वारा दिया गया दान लेने के कारण मेरा पतन हो जायेगा. बस यही कारण है, कि मैं तुम्हारे घर से दान स्वीकार नहीं करता. महात्मा की बात सुनकर धनेश्वर उनसे विनती करते हुए बोला- हे महात्मन्! संतान ना होना ही तो हम पति-पत्नी के जीवन की सबसे बड़ी निराशा है. यदि संतान प्राप्ति का कोई उपाय हो, तो बताने की कृपा करें.


धनेश्वर का दुख देखकर महात्मा बोले- हे विप्र! तुम्हारे इस कष्ट का एक आसान तरीका है. तुम्हें 16 दिनों तक श्रद्धापूर्वक काली माता की पूजा कर उन्हें प्रसन्न करना होगा तो उनकी कृपा से अवश्य तुम्हें संतान की प्राप्ति होगी. इतना सुनने के बाद धनेश्वर बेहद खुश हुआ और घर आकर पत्नी को सारी बात बताई. इसके बाद धनेश्वर मां काली की उपासना के लिए वन चला गया.


16 दिनों तक की मां काली पूजा


इसके बाद धनेश्वर ने पूरे 16 दिनों तक मां काली की सच्चे मन से उपवास किया. धनेश्वर की भक्ति और विनती सुनने के बाद माता ब्राह्मण के सपने में आई और बोली- हे धनेश्वर! तू निराश मत हो! मैं तुझे संतान के रूप में संतान की प्राप्ति का वरदान देती हूं! लेकिन, 16 साल की अल्पायु में ही उसकी मृत्यु हो जाएगी. यदि तुम पति-पत्नी विधिपूर्वक 32 पूर्णिमा का व्रत करोगे, तो तुम्हारी संतान दीर्घायु हो जायेगी. इसके बाद मां काली ने कहा- सुबह जब तुम उठोगे, तो तुम्हें यहां आम का एक वृक्ष दिखाई देगा. उस पेड़ से एक फल तोड़ना और ले जाकर अपनी पत्नी को खिला देना. शिव जी की कृपा से तुम्हारी पत्नी गर्भवती हो जाएगी. इतना कहकर माता अंतर्ध्यान हो गईं. काली मां के कहने पर धनेश्वर और उसकी पत्नी हर पूर्णिमा पर दीप जलाते रहे. कुछ दिनों के बाद भगवान शिव की कृपा हुई और ब्राह्मण की पत्नी ने एक सुंदर बेटे को जन्म दिया, जिसका नाम उन्होंने देवीदास रखा.


माघ माह पूर्णिमा की डेट- 24 फरवरी, 2024 शनिवार


पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 23 फरवरी, 2024 को 03:33


पूर्णिमा तिथि समाप्त- 24 फरवरी, 2024 को 05:59


स्नान-दान का समय- 24 फरवरी शाम 5 बजकर 59 मिनट तक माघ पूर्णिमा का स्नान होगा.


माघ पूर्णिमा मंत्र जाप- ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नमः।।