Diwali 2023: दिवाली के त्योहार में दीयों का सबसे ज्यादा महत्व होता है. दियों के बिना इस पूजा को करना संभव नहीं है. लोग इस पूजा में गाय के गोबर के दिए भी शामिल करना चाहते हैं, लेकिन आजकल शहरों में गाय की गोबर के दिए नहीं मिल पाते. आजकल गोबर के गाय के दीये ऑनलाइन भी मिलने लगे हैं. यह काफी महंगे होते है. ये दीये काफी महंगे होते हैं, जबकि हमारे आसपास मिलने वाले दीये सस्ता होने के साथ-साथ हमारे स्थानीय कामगारों की मदद भी पहुंचाते हैं. इसी कड़ी में चंडीगढ़ सेक्टर 45 की गौशाला में दिवाली के मौके पर खासतौर पर गाय के गोबर से दीये बनाएं गए हैं और ये दीये लोगों को मुफ्त में दिए जा रहे हैं. 


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होता है धार्मिक महत्व
इन दीयों के बारे में बात करते हुए गौशाला के उपाध्यक्ष विनोद कुमार ने बताया कि इन दीयों का बहुत ज्यादा धार्मिक महत्व होता है. गाय के गोबर में लक्ष्मी का वास माना जाता है और यह शुभ माने जाते हैं. दिवाली की पूजा में इन दीयों को शामिल करने से पूजा को संपूर्ण माना जाता है. उन्होंने कहा कि इन दीयों को गाय की गोबर के अलावा हवन सामग्री भी मिलाई गई है, जिससे यह दिए जलाने से हवन का लाभ होता है और इसके धुएं से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है. उन्होंने कहा कि हम आमतौर पर जो मिट्टी के दीये जलते हैं दिवाली के बाद लोग वह कचरे में फेंक देते हैं, जिससे गंदगी भी फैलती है और पर्यावरण को भी नुकसान होता है. लेकिन यह दीये पूरी तरह से जल जाते हैं और जलने के बाद रख बन जाते हैं इससे कचरा भी नहीं होता और पर्यावरण को भी नुकसान से बचाया जा सकता है. 


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कुम्हारों से गोबर के दीए बनाने की अपील
विनोद कुमार ने कहा कि हिंदू धर्म में लगभग हर रोज लोग पूजा-पाठ करते हैं और दिए जलते हैं. इसलिए मिट्टी के दीए की जगह गोबर के दीये पूजा-पाठ में शामिल करने चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि हम सरकार से भी यह आग्रह करते हैं कि वह सभी गौशालाओं में दीये बनाने की मशीन भी करवाएं ताकि यह दीये बनाएं और गौशालाओं को कुछ आर्थिक सहायता मिले और गाय माता की सेवा सही ढंग से की जा सके. मिट्टी के दीये बनाने वाले कुम्हार भी इन दियों को बनाएं. यहां दिये लेने आने वाले लोगों ने बताया कि वे दिवाली के मौके पर यह दिए लेने आए हैं और इन दीयों का पूजा-पाठ में खास महत्व है. दिवाली की पूजा में वो में ज्योति जलाकर इन्हें पूजा पाठ में शामिल करेंगे.


INPUT- VIJAY RANA