गाजियाबाद: बीते चंद हफ्तों में कुत्ते के हमलों की कई घटनाएं सामने आई है. बात अगर हाल ही में संजय नगर में 10 वर्ष के बच्चे पर पिटबुल के हमले की करें तो पिटबुल के हमले के बाद बच्चे के तकरीबन चेहरे पर डेढ़ सौ से अधिक टांके आए. इसके साथ राजनगर एक्सटेंशन में भी लिफ्ट में कुत्ते ने बच्चे पर हमला कर दिया. लगातार कुत्ते के हमलों की घटनाओं के बाद कहीं ना कहीं बच्चों और अभिभावकों में डर का माहौल है.


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इसी को देखते हुए गाजियाबाद के अधिवक्ता और मानवाधिकार कार्यकर्ता विष्णु कुमार गुप्ता द्वारा राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग को मासूम और छोटे बच्चों की सुरक्षा और बाल अधिकार संरक्षण के लिए याचिका भेजी गई है. याचिका में कहा गया है कि हाल ही में हुई घटनाओं से बच्चों तथा उनके अभिभावकों में दहशत है, बच्चे सिर्फ स्कूल और ट्यूशन के लिए ही घर से निकल पा रहे हैं.


उन्होंने कहा कि कुत्तों के द्वारा सबसे ज्यादा अपने मुंह के दांतों से ही मानव जीवन को नुकसान पहुंचाया जाता है. यदि पालतू कुत्तों के मुंह पर मजल कवर लगा होता तो शायद ये दुखद पीड़ादायक घटनाएं नहीं हुई होती. याचिका में नगर निगम को पालतू कुत्तों का पंजीकरण और वैक्सीनेशन के साथ ही घर से कुत्ते को बाहर निकालने पर उसके मुंह पर मजल कवर (Majal cover) लगाना चाहिए.


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उन्होंने आगे कहा कि एक मीटर का गले में पट्टा डालना अनिवार्य कर देने और गालियों एवं सोसाइटियों के निराश्रित कुत्तों की नसबंदी कराने, शेल्टर होम में रखने की कार्रवाई किए जाने के लिए समयबद्ध प्रभावी नीति तैयार करने के लिए आदेश देने और पीड़ित बच्चों को उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से आर्थिक सहायता प्रदान किए जाने तथा उनका बेहतर इलाज कराए जाने की प्रार्थना की गई है.


एडवोकेट गुप्ता का कहना है कि गाजियाबाद में 20 हजार से अधिक कुत्ते होना तथा इनमें से 2600 का पंजीकरण होना विदित हुआ है. पिटबुल (Pitt Bull), रोटविलर (rottwiller) जैसे कुत्तों पर कई देशों में पालने पर प्रतिबंध लगा हुआ है. जर्मन शेफर्ड (german shepherd) और डाबरमैन (Daberman) जैसे कुत्तों का इस्तेमाल ज्यादातर पुलिस और बचाव दल में होता है. ऐसे कुत्तों को प्रशिक्षण दिलाया जाना अनिवार्य है. पीड़ादायक दर्दनाक घटनाओं के कारण बच्चे स्वतंत्र रूप से खेल नहीं पा रहे हैं तथा उनका बाल जीवन उनसे छिन गया है.