Delhi-NCR Earthquake: राजधानी दिल्ली में एक बार फिर शाम 4 बजकर 16 मिनट पर भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए. इसकी तीव्रता 5.6 रही. तो वहीं एक बार फिर भूकंप का केंद्र नेपाल था. 3 दिन में ये दूसरी बार है, जब दिल्ली में भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. इससे पहले 04 नवंबर को भी रात 11 बजकर 32 मिनट नेपाल में भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिसका असर दिल्ली, यूपी सहित कई राज्यों में देखने को मिला. नेपाल में इस भूकंप से 100 से ज्यादा लोगों की मौत भी हो गई. 



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क्यों आता है भूकंप
भूकंप आने की मुख्य वजह टेक्टोनिकल प्लेट में होने वाली हलचल होती है. दरअसल, धरती की सतह कई टेक्टोनिक प्लेट्स से मिलकर बनी है. ये प्लेट्स तैरती रहती हैं और कई बार एक-दूसरे से टकराकर मुड़ जाती हैं और फिर टूट जाती हैं. ऐसे में नीचे से बाहर निकलने का रास्ता खोजती हैं, जिसकी वजह से भूकंप आता है. कई बार उल्का के प्रभाव, ज्वालामुखी में विस्फोट, माइन टेस्टिंग और न्यूक्लियर टेस्टिंग के दौरान भी भूकंप के झटके महसूस किए जा सकते हैं. 


किससे मापते हैं भूकंप की तीव्रता
भूकंप की तीव्रता मापने के लिए सिस्मोग्राफ का उपयोग किया जाता है, इसके माध्यम से धरती के अंदर हुई हलचल का ग्राफ बनाया जाता है. इसके बाद इसी ग्राफ के आधार पर रिक्टर पैमाने के माध्यम से भूकंप की तीव्रता बताई जाती है. 


भूकंप की तीव्रता बढ़ने पर क्या परिणाम हो सकते हैं- 


0 से 1.9- सिर्फ सिस्मोग्राफ से ही पता किया जा सकता है. 


2 से 2.9- हल्का कंपन होता है. 


3 से 3.9- कोई ट्रक आपके नजदीक से गुजर जाए, इतना असर समझ आता है. 


4 से 4.9- खिड़कियां टूट सकती हैं, दीवारों पर टंगी फ्रेम तक गिर सकती है. 


5 से 5.9- फर्नीचर जैसा भारी सामान भी हिल सकता है.


6 से 6.9- इमारतों की नींव में दरार आ सकती है, ऊपरी मंजिलों को भी नुकसान हो सकता है. 


7 से 7.9- इमारतें गिर जाती हैं. 


8 से 8.9- इमारतों सहित बड़े पुल भी गिर जाते हैं.


9 या उससे ज्यादा- 9 से ज्यादा की तीव्रता का भूकंप तबाही लेकर आता है, मैदान में खड़े व्यक्ति को भी धरती लहराती हुई नजर आती है.