Faridabad News: लगभग 25 लाख की आबादी वाले औद्योगिक नगरी फरीदाबाद में साफ पानी व मूलभूत सुविधा उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी नगर निगम की है. शहर के मंत्री विधायकों के साथ-साथ नगर निगम फरीदाबाद पिछले कई वर्षों से शहर की जनता को मूलभूत सुविधा पानी बिजली सड़क स्वच्छ वातावरण देने का लगातार दावा करता रहता है. 


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नगर निगम फरीदाबाद शहर की जनता को कितनी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाता है, इसकी खबरें तो समय-समय पर चर्चा का विषय बना रहता है. समय-समय पर लोगों के घरों में बदबूदार गंदा पानी आता रहता है. यही कारण है कि शहर की जनता घरों में इस्तेमाल करने के लिए बाजार से पानी खरीदने को मजबूर है, लेकिन हैरानी की बात है कि नगर निगम मुख्यालय में ही कर्मचारियों को साफ पानी पीने को नहीं मिल रहा है. नगर निगम के अलग-अलग शाखा कार्यालय की छतों पर पानी की टंकियां रखी हैं. इनमें पानी भी भरा रहता है पर इन टंकियों पर कहीं ढक्कन टूटे हैं तो कहीं जुगाड़ से टंकी को ढका गया है.


ज़ी मीडिया ने जब एनआईटी फरीदाबाद स्थित नगर निगम के मुख्य कार्यालय पर देखा तो पाया कि खुद अतिरिक्त निगम युक्त कार्यालय की छत पर 2 टंकियां रखी हुई हैं. एक का प्रयोग नहीं हो रहा और दूसरी टंकी में पानी भरा है. इस टंकी में टूटा हुआ ढक्कन लगा है तो वहीं दूसरी बिल्डिंग जिसके नीचे इंजीनियर, लेखा जोखा अधिकारी, कंप्यूटर विभाग के कर्मचारी अधिकारी बैठते हैं. उसकी छत पर रखी पानी की टंकियों को भी जुगाड़ से ढका हुआ था.


एक टंकी पर तो शौचालय में इस्तेमाल होने वाली सीट को ढकने के लिए रखा गया था और उस टंकी में जाले लगे हुए थे और पीने के पानी में गंदगी पड़ी हुई थी. इसी पानी को यहां के कर्मचारी अधिकारी पी रहे हैं, जो नगर निगम अपने कर्मचारियों और अधिकारियों को पीने का साफ पानी उपलब्ध नहीं करवा पा रहा है. वह विभाग शायद इसी तरीके के जुगाड़ और कितना स्वच्छ व साफ पानी जनता को उपलब्ध करवा रहे होंगे यह सोचने की बात है. 


नगर निगम फरीदाबाद के मुख्यालय की छत पर चारों तरफ कूड़े करकट के ढेर लगे हैं, तो वहीं दीवारों पर पान के गुटके के निशान साफ नजर आते हैं. वह नगर निगम जो शहर की स्वच्छता के दावे करता है तो वहीं कर्मचारियों के लिए लगी पानी की टंकियां बिना ढके नजर आती हैं तो कई टंकियां जुगाड़ के सहारे ढकी गई हैं.


शहर में रहने वाली पूजा सिंगला बताती है कि घरों में बहुत गंदा पानी आता है. बहुत दिक्कत आती है, जब वोट मांगने आते हैं तो बड़े-बड़े वादे करते हैं. उसके बाद कोई सुनवाई नहीं होती फिलहाल घर में लगे हुए फिल्टर से काम चला रहे हैं. वहीं उषा सिंगला बताती हैं कि पानी बहुत गंदा का बदबूदार आता है, जिससे बच्चों को भी बीमारी होती है. नगर निगम में कई बार शिकायत करने के बावजूद सुनवाई नहीं होती. पानी की बोतल खरीद कर पानी पीना पड़ता है.


Input: Amit Chaudhary