Palwal News: प्रदेश सरकार की  योजनाओं से प्रेरित होकर जिले के किसान अब परंपरागत धान व अन्य खेती छोड़ बागवानी खेती की और रुख कर रहें हैं. इस तरह की खेती करने के पीछे उनका मानना है कि इस तरह की खेती में परम्परागत खेती की तुलना से पानी की खपत, मेहनत और लागत कम होती है. वहीं उन्हें बागवानी की खेती से अच्छा मुनाफा मिलता है. साथ ही उन्हें सरकार द्वारा समय समय पर अनेकों प्रकार की आर्थिक मदद भी मिलती है.


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बागवानी की खेती करने वाले पलवल जिले के किठवाड़ी गांव निवासी किसान बिजेंद्र ने बताया की उसने और उसके भाई ने पांच एकड़ में बागवानी की खेती की है. जिसमें से 2 एकड़ में उन्होंने अमरुद व 3 एकड़ में निंबू, मौसमी व् अन्य फलों की खेती की है, जिसके लिए उन्हें शुरुआत में पेड़ लगाने के लिए आर्थिक मदद हॉर्टिकल्चर विभाग और सरकार की तरफ से मिली थी. वहीं प्रत्येक वर्ष धान की खेती न करने की एवज में मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत 7 हजार रुपये प्रति एकड़ का अनुदान भी मिल रहा है. उनको फसलों की बिजाई के समय आने वाले खर्चे से निजात तो मिल ही रही है. साथ ही परंपरागत खेती की तुलना में अच्छा मुनाफा भी मिल रहा है. जिससे उनकी आर्थिक स्तिथि मजबूत हो ही रही है. साथ ही उनकी आजीवका भी अच्छी चल रही है. 


उन्होंने यह भी कहा कि परंपरागत खेती में जहां ज्यादा लागत और मेहनत करने के बाद भी अच्छा मुनाफा नहीं मिलता था. वहीं उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए संबंधित विभाग भी समय समय पर आकर उनका मार्गदर्शन करती है, जिससे हमारी बागवानी की खेती से उपज और ज्यादा बढ़ती है. वहीं गांव घोड़ी निवासी प्रगतिशील किसान बिजेंद्र देशवाल ने बताया की उन्होंने करीब दो एकड़ में बागवानी की खेती की है, जिसमें करीब डेढ़ एकड़ में बेर व आधा एकड़ में मौसमी का बाग लगाया हुआ है. जिसके लिए उन्हें सरकार से बेर के पौधे लगाने के लिए 18 हजार रुपये और मौसमी के पौधे लगाने के लिए साढ़े 11 हजार रुपये का अनुदान मिला है. बागवानी की खेती और किसानों को प्रोत्साहित करने की एक अच्छी योजना है, जिससे किसान की आय में मुनाफा हो रहा है और लागत काम आ रही है. अन्य किसानों को भी परंपरागत खेती छोड़ बागवानी की और रुख करना चाहिए यह बहुत फायदेमंद है.


वहीं बागवानी अधिकारी अब्दुल रज्जाक ने बताया की बागवानी विभाग द्वारा बागवानी की खेती करने वालों को तीन साल तक अनुदान राशि दी जाती है. पहले साल में किसान को 30 हजार रुपये अनुदान राशि अगर वह किसान धान की खेती छोड़कर बागवानी की खेती करता है तो अन्यथा पहले साल में 23 हजार रुपये की अनुदान राशि और अगले दो सालों तक 10 -10 हजार की अनुदान राशि डीबीटी के माध्यम से सीधे किसानों के खतों में दी जाती है. उन्होंने कहा की इतना ही नहीं बागवानी विभाग बाग लगाने के लिए किसानों को जागरूक करने के लिए समय समय पर कैंप आयोजित करता है. उनकी किसानों से अपील है की वो ज्यादा से ज्यादा बाग लगाएं और अपनी आमदनी बढ़ाएं ताकि पीएम और सीएम के किसानों की आय दोगुना करने का सपना पूरा हो सके. 


Input- RUSHTAM JAKHAR