Delhi Burari News: दिल्ली के बुराड़ी यमुना खादर इलाके में 6 महीने पहले आई बाढ़ के बाद किसानों की खेती वाली जमीन उपजाऊ हो गई. बाढ़ की मार झेल चुके किसानों को अब थोड़ी राहत मिली है. बाढ़ के चलते बर्बाद हुई फसलों के बाद इस सीजन की पहली फसल किसानों ने काटना शुरू कर दिया,  जिसके चलते किसानों के चहरे पर खुशियां देखने को मिल रही हैं. वही बाढ़ प्रभावित रहे किसानों का कहना है कि फसले बेच कर बाढ़ के चलते हुए नुकसान की भरपाई करेंगे. 


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इस सीजन की पहली फसल
करीब 6 महीने पहले यह इलाका बाढ़ के चलते जलमग्न हो गया था और किसानों की लाखों रुपए की फैसलें बर्बाद हो गई थी.  जिसकी भरपाई किसान आज तक नहीं कर पाए.  हालांकि, दिल्ली सरकार की तरफ से 10 हजार रुपये बाढ़ पीड़ित किसानों को राहत बतौर मुआवजा दिया गया, लेकिन लाखों रुपए की बर्बाद सफलो की भरपाई नहीं हो पाई. करीब 6 महीने के बाद किसानों अब जाकर इस सीजन की पहली फसलें काट रहे हैं. इस वजह से किसानों के चहरे पर खुशी है. किसानों का कहना है कि उन्होंने 2 महीने तक जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए खेतों में ट्रैक्टर ट्रॉली हैरो चलाएं. वहीं एक महीना तक खेतों में फसलें लगाने में समय बिताया और वही किसानों की सीजन की पहली फसले तैयार हो चुकी है और अब किसान जेई की फसले काट रहे है. 


बाढ़ पीड़ित रहे किसानों ने कही ये बात 
यमुना खादर में बाढ़ पीड़ित रहे किसानों ने बताया कि उनका बाढ़ में भारी नुकसान हुआ है. जिसकी भरपाई करने के लिए वह पिछले 6 महीने से संघर्ष कर रहे हैं. एक किसान ने बताया कि करीब 2 महीने पहले उन्होंने अपने खेतों में मिर्ची, गोभी, हरि पियाज, धनिया पालक और सरसो जैसी सब्जियों की अन्य कई फसले लगाई है, जो अब तैयार हो चुकी हैं और किसान खेतों से फसलों को काटकर सब्जी मंडी व चारा मंडियों में भेजना शुरू कर दिया है. वहीं अब जो खेत किसनों की खाली हो चुके हैं उन खेतों में किसानों ने अब तोरी, करेला, घीया, सीताफल, ककड़ी , तरबूज, खीरा  व गेंहू की फसले लगाई है जो कि मार्च - अप्रैल के महीनों में तैयार होगी.  जिससे बेच कर किसान अपने नफे नुकसान की भरपाई कर सकेंगे. किसानों का कहना है कि दिल्ली में प्रचंड सर्दी पड़ रही है फिर भी वह इस सर्दी में सब्जियों की फसल लग रहे हैं और उन्हें बचाने के लिए पॉलिथीन का लो टनल उनके ऊपर बनाया है, जिससे रात को आसमान से गिरने वाला पाला फसलों को बर्बाद ना करें. वहीं किसान अब बहुत खुश हैं क्योंकि, उनकी जिंदगी का पहिया फिर से पटरी पर चलने लगा है.


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आपको बता दें कि यह वह क्षेत्र है जहां पर बाढ़ के चलते हर वर्ष किसानों को भारी नुकसान होता है, लेकिन कुछ किसान ऐसे हैं जिन्हें खेती के अलावा कोई काम नहीं आता है. गरीबी के चलते वह यमुना खादर में जमीदारों से सस्ते दामों पर खेत उगाही पर लेते हैं और अपनी फैसले लगते हैं. लेकिन, किसानों द्वारा लगाई गई यमुना खादर में फैसले सिर्फ राम भरोसे होती हैं. कभी बारिश की मार तो कभी बाढ़ के चलते फसलें बर्बाद होना तो कभी प्रचंड सर्दी से किसानों की फसलों का भारी नुकसान होना किसानों के लिए एक आम बात हो गई है. मतलब सीधा है कि यमुना खादर में खेती करने वाले किसान हमेशा कर्जवान रहते हैं और सरकार की तरफ से कोई खास मुआवजा भी किसानों को फसलें बर्बाद होने के बाद नहीं मिलता.  परंतु किसान अन्नदाता है इसलिए वह अपने से ज्यादा सभी देशवासियों की चिंता करते हैं और हर मुसीबत की घड़ी में फसलों को तैयार कर देश के कोने-कोने तक भेजने में कोई कसर नहीं छोड़ते. 


Input- Nasim Ahmad