Ghaziabad News: गाजियाबाद और उसके आस-पास के इलाकों से लगातार कुत्तों के काटने की घटनाएं सामने आ रही हैं. यही नहीं गाजियाबाद में कुत्ते के काटने की वजह से दो लोगों की मौत की खबर भी सामने आई है, जिसमें एक 15 वर्षीय किशोर और एक 35 वर्षीय युवक शामिल है. इन दोनों लोगों की मौत रेबीज की वजह से हुई. इसके बाद भी नगर निगम और प्रशासन द्वारा कोई उचित कदम नहीं उठाया जा रहा है. 


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28 अगस्त को गाजियाबाद के चिपियाना बुज़ुर्ग में रविंद्र सिंह नाम के शख्स की मौत हो गई, जिसकी वजह कुत्ता का काटना बताया जा रहा है. कुत्ते के काटने की वजह से रविंद्र सिंह को रेबीज हो गया, जिसके बाद 28 अगस्त को उनकी मौत हो गई. इसके ठीक बाद गाजियाबाद के विजयनगर थाना क्षेत्र के सैन विहार कॉलोनी में 15 वर्षीय किशोर सावेज की रेबीज की वजह से 3 सितंबर को मौत हो गई. उसके बाद भी कुत्ते काटने की घटनाएं कम नहीं हो रही है और न ही नगर निगम और प्रशासन द्वारा कोई उचित कदम उठाए जा रहे हैं.


तस्वीरें गाजियाबाद के जिला एमएमजी अस्पताल की हैं, जहां पर रोजाना 150-200 कुत्ते काटने के मरीज सामने आ रहे हैं. यहां पर कतार लगाकर खड़े तमाम लोगों को कुत्ते ने काटा है और सभी एंटी रेबीज की डोज लगवाने के लिए अस्पताल आए हुए हैं. फार्मासिस्ट का कहना है कि रोजाना 150 से 200 मरीज सामने आ रहे हैं. नगर निगम को कुत्ते से संबंधित घटनाओं को लेकर ठोस कदम उठाए जाने चाहिए. जो लोग कुत्ते काटने की घटना का शिकार हुए हैं उनका भी यही कहना है कि कॉलोनी में आवारा कुत्तों की संख्या बहुत ज्यादा है. कभी भी कुत्ते किसी को भी काट लेते हैं. लोगों को घरों से निकलने में भी डर लगता है. कई लोग तो ऐसे भी है जिनके घर में पहले एक बच्चे को कुत्ते ने काटा फिर उनके दूसरे बच्चे को भी उसी कुत्ते ने काटा. 


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गाजियाबाद के सभी इलाकों में लोग कुत्तों के आतंक से परेशान हैं, जिसकी लगातार शिकायतें भी की जा रहीं हैं. लेकिन नगर निगम द्वारा अब तक इस पूरे मामले में कोई संतोषजनक कार्रवाई नहीं की गई. अब कुत्तों के आतंक से परेशान लोग नगर निगम और प्रशासन की कार्रवाई पर सवालिया निशान लगा रहे हैं. 


रेबीज क्या है?
रेबीज एक खतरनाक वायरस है, जो संक्रमित जानवरों की लार से लोगों में फैलता है. जब कोई पशु मनुष्य को काट लेता है तो यह विषाणु मनुष्य के शरीर में प्रवेश कर जाता है. किसी भी व्यक्ति में इस बीमारी के लक्षण नजर आने में महीनों से साल तक का समय भी लग सकता है. सामान्य तौर पर 1-3 महीने में किसी भी व्यक्ति में रेबीज के लक्षण नजर आने लगते हैं.


Input- Piyush Gaur