Sirsa News: कहते है कि अगर आपके हौसले बुलंद हो नेक इरादा हो और आप में कुछ कर गुजरने की हिम्मत है तो आप इस दुनिया में कुछ भी कर सकते है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है सिरसा की माया रानी ने. माया रानी सिरसा के डबवाली हल्के के गांव डबवाली की निवासी है और माया रानी शुरू से ही विकलांग है, लेकिन विकलांगता माया रानी के हौसलों को नहीं गिरा पाई. माया रानी ने दो जून की रोटी कमाने के लिए किसी दूसरे व्यक्ति के सामने भीख मांगने की बजाए खुद ही कमाने का रास्ता ढूंढ निकाला.


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माया रानी विकलांग होने के बावजूद रिक्शा चलाकर अपना गुजारा चलाती है. रोजाना सुबह से लेकर शाम तक डबवाली शहर में रिक्शा चलाकर माया रानी करीब 300 रुपये कमा लेती है. माया रानी को अपने विकलांग होने का दर्द तो पल-पल सताता रहता है, लेकिन उससे ज्यादा कही खुशी उसको रिक्शा चलाकर मेहनत करने में हो रही है. माया रानी के परिवार में फिलहाल कोई भी नहीं है. माया रानी अकेली रहती है, लेकिन महिला होने के बावजूद उसके सिर पर छत नहीं है.


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डबवाली के समाज सेवियों को जब माया रानी के हौंसले की जानकारी मिली तो समाज सेवी माया रानी से मिलने उसके गांव पहुंचे. माया रानी के बारे में उससे और उसके पड़ोसियों से जानकारी हासिल की. माया रानी को हरियाणा सरकार ने विकलांग होने के चलते एक प्लाट दिया था, लेकिन माया रानी के पास प्लाट तो आ गया उसपर छत डालने के लिए माया रानी के पास पैसे नहीं थे. माया रानी के मकान के लिए समाज सेवियों ने एक मुहीम शुरू की, जिसके बाद सभी लोगों के सहयोग से करीब 3 लाख 50 हजार की राशि इकट्ठी हुई और अब माया रानी का मकान लगभग अंतिम दौर में है.


कहते हैं समाज में अपाहिज होना समाजिक और शारीरिक रूप से नहीं बल्कि मानसिक रूप से होना सबसे बड़ी लाचारी है, लेकिन यदि कोई अपाहिज शब्द को लाचारी या मजबूरी न मानकर समाज मे मेहनत कश होने का रुतबा कायम करे तो वो औरों के लिए मिसाल बन जाते है. डबवाली गांव की रहने वाली दिव्यांग माया ने एक ऐसा उदाहरण पेश किया है. माया रानी ई-रिक्शा चालक से मशहूर हुई शहर और जिला की पहली चालक बनी है. माया दोनों पैरों से न चल सकती और न कोई काम कर सकती है.


परिवार में कोई और सहारा नहीं तो उसने अपने अपाहिज होने को कमजोरी नहीं बल्कि हौंसले के चलते सरकार द्वारा संचालित स्वयं सहायता समूह की मदद से ई-रिक्शा लेकर शहर की ओर निकल पड़ी और आजतक पीछे नहीं मुड़कर देखा. वहीं माया को शहर में रिक्शा चलाते देख हर कोई हैरान होता तो लोग उसे रिक्शा चलाता देख सलाम करते है, वहीं खुद का घर नहीं होने के चलते सामाजिक संस्थाओं ने मुहिम चला 1 सप्ताह में उसका मकान खड़ा दिया है.


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वहीं मीडिया से बातचीत में ई-रिक्शा चालक माया ने बताया कि वह आज रिक्शा चलाकर खुश है, शुरुआत में उसे लोग बहुत कुछ कहते थे मगर वह मेहनत करना पसंद करती है और उसका आज घर तैयार हो रहा वह सामाजिक संस्थाओं का धन्यवाद करती है.  वहीं समाजसेवी राजेश जैन ने बताया कि बहन को रिक्शा चलाते देख दुख भी हुआ मगर उनको सलाम है. मगर उन्होंने अपाहिज होने को मजबूरी नहीं माना बल्कि उदाहरण पेश किया. सभी सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से मकान तैयार करवा दिया है.


(इनपुटः विजय कुमार)