Jind News: हरियाणा स्वास्थ्य विभाग का `एनीमिया मुक्त हरियाणा`, मुफ्त में हो रही लोगों की जांच
Haryana News: हरियाणा में एनीमिया को खत्म करने के लिए एनीमिया मुक्त हरियाणा` अभियान चलाया जा रहा है. 100 दिन के एनीमिया मुक्त अभियान में ये पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि प्रदेश में दूध व दही की प्रचुर मात्रा होने के बावजूद यहां पर पर एनीमिया के रोगी क्यों मिल रहे हैं.
Jind News: हरियाणा को एनीमिया मुक्त बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा 'एनीमिया मुक्त हरियाणा' अभियान चलाया जा रहा है. अभियान के तहत 100 दिन (तीन माह) में हरियाणा को एनीमिया मुक्त बनाने का लक्ष्य रखा गया है. इसी क्रम में जींद जिले के स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सब सेंटर व आंगनबाड़ी केंद्रों पर विशेष जांच शिविर लगाए जा रहे हैं, जिनमें प्रशिक्षित टीमें जांच कर रही हैं. इस अभियान के तहत अब तक कुल 76,759 लोगों की जांच की जा चुकी है.
जांच शिविर में मिल रही दवाएं
'एनीमिया मुक्त हरियाणा' अभियान के तहत लगाए जा रहे स्वास्थ्य शिविर में जांच के दौरान जिन लोगों को भी खून की कमी मिल रही है, उन्हें मौके पर ही दवाइयां दी जा रही हैं. इसके अलावा अगर कोई अति कुपोषित श्रेणी में आता है तो तुरंत ही उसका उपचार शुरू कर दिया जाता है.
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एनीमिया के लक्षण
वहीं इस बारे में जानकारी देते हुए स्वास्थ्य विभाग जींद के उप सिविल सर्जन डाक्टर राजेश भोला ने बताया कि जल्दी थक जाना, सांस फूलना, सुस्ती व नींद आते रहना, जल्दी-जल्दी बीमार पडना, पढ़ाई, खेलकूद व अन्य कार्यों में मन न लगना, भूख न लगना, चक्कर आना, जीभ, हथेलियों व आंखों में सफेदपन एनीमिया के प्रमुख लक्षण हैं.
जींद के उप सिविल सर्जन डाक्टर राजेश भोला ने एनीमिया के उपचार के लिए आयरन की गोली व सिरप लेने की सलाह दी. साथ ही दवा लेते समय आयु वर्ग का विशेष ध्यान रखें. उन्होंने बताया कि एनीमिया से बचाव के लिए संतुलित भोजन व मौसम के अनुसार उपलब्ध फल व सब्जी का सेवन करना भी जरूरी है.
दअसल, स्वास्थ्य विभाग ने हरियाणा प्रदेश को एनीमिया मुक्त करने का अभियान शुरू किया है. इस अभियान का मकसद ग्रामीण स्तर तक बच्चों से लेकर बड़ों तक आयरन की पूरक मात्रा देना है. 100 दिन के एनीमिया मुक्त अभियान में ये पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि प्रदेश में दूध व दही की प्रचुर मात्रा होने के बावजूद यहां पर पर एनीमिया के रोगी क्यों मिल रहे हैं. वहीं किशोरावस्था में निरंतर शारीरिक एवं मानसिक बदलाव होते हैं. इसलिए पौष्टिक खान-पान की अधिक जरूर पड़ती है, ताकि एनीमिया एव कुपोषण से बचा जा सके.
लोगों ने सराहा
स्वास्थ्य शिविर में जांच कराने पहुंचे लोगों ने राज्य सरकार की इस पहल की सराहना की. उन्होंने कहा कि इससे लोगों को एनीमिया की जांच के लिए इधर-उधर भटकना नहीं पड़ता. साथ ही दवाएं भी मिल जाती हैं.
Input- Gulshan