Haryana Farming News: किसानों का परंपरागत फसलों की जगह बागवानी की ओर रूझान बढ़ा है. अब बाग लगाने के लिए सरकार भी सहयोग दे रही है. फतेहाबाद के गांव जांडली के एक प्रगतिशील किसान ने अपने खेत में अमरूद का बाग लगाया. किसानों का कहना सामान्य फसलें अब जोखिम भरी हो गई हैं. कभी प्रकृति की मार तो कभी बीमारी से फसलें चौपट हो जाती हैं. वहीं बागवानी में प्रति एकड़ प्रति वर्ष एक लाख रुपए से अधिक का मुनाफा हो रहा है. साथ ही पानी की लागत भी कम हुई है.


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किसान करने लगे हैं बागवानी की खेती
सरकार की योजनाओं से जिले के किसान अब प्रभावित होने लगे हैं. किसानों का रूझान अब परंपरागत फसलों को छोड़ बागवानी की ओर बढ़ा है. जिले में किन्नू, बेर, अमरूद, ड्रैगन फ्रूट, मशरूम और सब्जियों की खेती कर किसान लाखों रुपए कमा रहे हैं. फतेहाबाद जिले के गांव जांडली के किसान ने परंपरागत फसलों को छोड़ अपने पांच एकड़ भूमि में अमरूद का बाग लगाया है, जिसमें अमरूद की सबसे बढ़िया किस्म हिसार सफेदा लगाया है. किसान पृथ्वी सिंह का कहना है कि बाग लगाने के बाद खेती को लेकर आने वाली परेशानियां कम हुई हैं और अब वह प्रति एकड़ प्रतिवर्ष 1 लाख रुपए से अधिक का मुनाफा कमा रहा है, जबकि परंपरागत फसलों में उसे लागत भी पूरी करना मुश्किल हो रहा था.


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मुनाफा होगा अधिक
किसान ने बताया कि वह अपने बाग में पेस्टिसाईड और रासायनिक खादों का प्रयोग न के बराबर करते हैं और प्राकृतिक खेती अपना रहे हैं. बाग में रसायनिक खादों की बजाए आर्गेनिक खाद और केचुओं की खाद से ही बागवानी कर रहे हैं. बाग लगाने के लिए विभाग और सरकार की ओर से करीब 4 लाख रुपए मदद मिली थी, जिससे उसने बाग में वॉटर टैंक, ड्रिप इरिगेशन सिस्टम और अमरूद के पौधे लगाए. उन्होंने अन्य किसानों को भी सलाह दिया है कि वो भी या तो फसली चक्र को अपनाएं या फिर बागवानी की ओर प्रस्थान करें और बागवानी लगाएं क्योंकि बाग लगाने से एक तो पानी की बचत होगी. वहीं, पंरपरागत फसलों में जो जोखिम उठाना पड़ता है वो भी कम होगा और मुनाफा अधिक होगा.


INPUT- Ajay Mehta