भिवानी: हरियाणा प्रदेश के सरपंचों की तर्ज पर पावर छीने जाने के बाद नगर निकायों के चेयरमैन ने फैसले के खिलाफ एकजुट होने लगे हैं. भिवानी में आज हरियाणा नगर निकाय चेयरमैन एसोसिएशन ने एक राज्यस्तरीय मीटिंग कर प्रदेश सरकार के फैसले को पलटने के लिए हुंकार भरी. भिवानी जिले में जुटे 40 के करीब नगर परिषद व नगर पालिकाओं के चेयरमैन ने प्रदेश सरकार के इस फरमान के खिलाफ आंदोलन करने का मन बनाया. 


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एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष गोहाना से इंद्रजीत किरमानी, सचिव ऐलानाबाद से रामचंद्र सोलंकी, फिरोजपुर झिरका से मनीष जैन, भिवानी नगर परिषद चेयरपर्सन प्रतिनिधि भवानी प्रताप का कहना है कि आज की इस मीटिंग में चार महत्वपूर्ण बिंदुओं पर बातचीत हुई है, जिसमें सरकार द्वारा नगर निकायों के चेयरमैन के चेक पर हस्ताक्षर की शक्तियां छीने जाने को लेकर चर्चा हुई. साथ ही इसके खिलाफ कोर्ट में जाने, व्यापक स्तर पर त्यागपत्र दिए जाने, चेयरमैन द्वारा किसी भी कार्य पर हस्ताक्षर न करने और प्रदेश के भाजपा नेताओं से मिलकर इस निर्णय को पलटवाने पर भी बातचीत की गई. 


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सरकार का कदम लोकतंत्र की हत्या 
उन्होंने बताया कि प्रथम चरण में अगले 15 दिनों में प्रदेश के भाजपा जनप्रतिनिधियों से मिलकर उनके सामने चेयरमैन अपना पक्ष रखेंगे, ताकि नगर निकाय चेयरमैन को उनकी छीनी गई शक्तियां वापस मिल जाएं. उन्होंने कहा कि चेक पर हस्ताक्षर की शक्तियां छीनकर न केवल प्रदेशभर के जनप्रतिनिधियों को ताकत को कम किया गया है, बल्कि संवैधानिक तरीके से चुनकर आए जनप्रतिनिधियों पर अविश्वास भी जताया गया है. सरकार का यह कदम लोकतंत्र की हत्या है, इसीलिए सरकार को यह निर्णय वापस लेना चाहिए. 


चेक पर नहीं कर सकेंगे साइन 
प्रदेशभर से आए नगर निकाय प्रधानों ने कहा कि जिस प्रकार उनकी शक्तियां छीनकर उनके अधिकार प्रदेश सरकार के अधिकारियों को दिए गए हैं, वह सरासर गलत है. उनकी एसोसिएशन की मुख्यमंत्री से जो पिछले दिनों मीटिंग हुई थी, उसमें सरकार की तरफ से यह आश्वासन दिया गया था कि चेक पर हस्ताक्षर की शक्तियां वापस लेने के साथ ही चेयरमैन को कुछ ऐसे अधिकार दिए जाएंगे, जिससे जनता के बीच यह मैसेज जाए कि उनकी शक्तियों को कायम रखा गया है, लेकिन सरकार द्वारा अभी तक ऐसा कोई भी निर्णय नहीं लिया गया है. 


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जब विश्वास नहीं है तो क्यों दिया था टिकट 
जनप्रतिनिधियों ने कहा कि उनमें से चुनकर आए अधिकतर नगर निकायों के चेयरमैन भाजपा की टिकट पर जीतकर आए हैं. जब पार्टी को उन पर विश्वास ही नहीं था तो फिर उन्हें टिकट क्यों दिया गया. प्रदेश सरकार के इस निर्णय का नगर निकाय जनप्रतिनिधियों पर व्यापक नकारात्मक असर देखने को मिला.


2024 के चुनाव पर पड़ेगा असर 
इनका कहना है कि जिलास्तर पर अगले 15 दिनों के बाद प्रदर्शन कर राज्य सरकार को चेताया जाएगा. सरपंचों की तर्ज पर नगर निकायों के प्रधानों की शक्तियां कम किए जाने का भविष्य में व्यापक विरोध होता नजर आ रहा है. 2024 के चुनाव पर इसका क्या असर रहेगा, यह देखने वाली बात होगी, क्योंकि नगर निकाय प्रतिनिधि एक बड़े क्षेत्र के मतदाताओं को प्रभावित करने का माद्दा रखते है.


इनपुट: नवीन शर्मा