Panipat News: केंद्रीय इस्पात एवं नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पानीपत के ऐतिहासिक स्थल काला आंम्ब पर आयोजित शौर्य दिवस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित हुए. इस दौरान केन्द्रीय मंत्री ने जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व पटल पर भारत को आर्थिक शक्ति के साथ-साथ आध्यात्मिक शक्ति के रूप में भी प्रस्तुत किया है, जिससे भारत की साख विश्व मानचित्र पटल पर बढ़ी है. हम सब को चाहिए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संकल्प को साकार करने के लिए एकजुटता के साथ अपना योगदान दें.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

विविधता में एकता
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को साकार करते हुए वसुधैव कुटुंबकम के नाते पूरे देश को एक सूत्र में पिरोने का काम किया है. विविधता में अनेकता होते हुए भी एकता का काम किया है. यही कारण है कि आज पूरे विश्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदर्शिता को सराहा जा रहा है. उन्होंने कहा कि हम सबकी अपने वीरों के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हमसब मिलकर प्रधानमंत्री की सोच को और उनकी विचारधारा को आगे बढ़ाएं. प्रधानमंत्री के राष्ट्र के प्रति लिए गए संकल्प को साकार करने में उनका सहयोग करें. सिंधिया ने कहा कि उन्हें इस बात का गर्व है कि वे एक ऐसे वीर परिवार से हैं, जिन्होंने इस राष्ट्र के लिए अपनी शहादत दी. उन्होंने कहा कि पानीपत की लड़ाई में उनके 16 वंशजों ने अपना योगदान दिया.


पानीपत से रहा है भावनात्मक रिश्ता
उनके पूर्वज महाराज जी सिंधे ने हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना को साकार करते हुए 1771 से लेकर 1803 तक लाल किले पर भगवा फहराकर राज किया और उन्होंने जाट, गुर्जर, आदिवासी, राजपूत व अन्य समाजों को मिलाकर फौज ए हिंद की स्थापना की. वह विदेशी ताकतों से कभी नहीं डरे. ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि पानीपत वीरों की भूमि रही है और पानीपत के लोग उनके लिए परिवार के समान हैं. उनका पानीपत के साथ एक भावनात्मक और अटूट रिश्ता है.


ये भी पढ़ें: घर बचाओ, BJP हटाओ अभियान के तहत सौरभ भारद्वाज ने की झुग्गी में रहने वालों से मुलाकात


करनाल लोकसभा सांसद ने कहा, इतिहास से सीख लेनी चाहिए
इस दौरान करनाल लोकसभा सांसद संजय भाटिया ने कहा कि वीर मराठों ने देश की अखंडता के लिए हजारों किलोमीटर दूर आकर यहां लड़ाई लड़ी. हमें ऐसे इतिहास से सीख लेनी होगी और अपने वीरों का सम्मान करना होगा. मराठों का यहां आना उन लोगों के लिए तमाचा था, जो कहते थे कि यहां अलग-अलग रियासतें रही हैं और राज करती हैं, लेकिन मराठा इतनी दूर से यहां आए तो यह हम सबके लिए विवेचना का समय है कि तब पूरा भारतवर्ष एक था और सबके लिए राष्ट्र प्रेम सर्वप्रथम था. उन्होंने इस कार्यक्रम के लिए शौर्य स्मारक समिति के अध्यक्ष प्रदीप पाटिल की भी खुले मन से प्रशंसा की और कहा कि इन्होंने आने वाली पीढ़ियों के लिए जो बीड़ा उठाया है, जो अलख जगाई है वह सब के लिए प्रेरक है.


INPUT- RAKESH BHAYANA