Haryana News: पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बीजेपी-जेजेपी सरकार का मकसद फसल की खरीद करना नहीं बल्कि किसानों को परेशान और बर्बाद करना है. सरकार द्वारा ऐलान किए जाने के बावजूद मंडियों में धान और बाजरा की खरीद नहीं हो रही है. क्योंकि सरकार ने धान खरीद का ऐलान तो कर दिया, लेकिन साथ में कई तरह की शर्तें थोप दी गईं. ऊपर से हमेशा की तरह खरीद शुरू होते ही पोर्टल ने काम करना बंद कर दिया, जिसकी वजह से जे-फॉर्म और ई-फॉर्म नहीं बन पा रहे.


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किसानों को किया जा रहा मजबूर
हुड्डा ने कहा कि मंडियों में फसल की आवक जोरों पर है, लेकिन अब तक उठान का कोई बंदोबस्त नहीं किया गया. प्रदेश की सारी मंडियां और मंडियों की तरफ जाने वालीं सड़कें पूरी तरह जाम हो चुकी हैं. फसल उठान के लिए भी सरकार ने जीपीएस की नई शर्त लगा दी, जिनकी वजह से टेंडर लेने वालों को उठान में देरी का बहाना मिल गया है. सरकार द्वारा मंडियों में खरीद, उठान और पेमेंट की कोई तैयारी नजर नहीं आ रही. जानबूझकर किसानों को सड़कों पर धरना प्रदर्शन करने के लिए मजबूर किया जा रहा है.


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किसानों को हो रहा है घाटा
आंकड़े बताते हैं कि मंडियों में करीब 20 लाख क्विंटल धान आ चुकी है, लेकिन खरीद बमुश्किल 5 लाख क्विंटल की ही हुई है. यानी लगभग 15 लाख क्विंटल धान मंडियों में पड़ी हुई है. इसी तरह 3.50 लाख क्विंटल बाजरा मंडियों में आ चुका है, लेकिन खरीद करीब 40 हजार क्विंटल की ही हुई है. सरकार द्वारा खरीद में की जा रही लेटलतीफी का लाभ प्राइवेट एजेंसियां उठा रही हैं. मजबूरी में किसानों को एमएसपी से कम रेट पर फसल बेचनी पड़ रही है. उसे धान पर प्रति क्विंटल 200 से 300 रुपए और बाजरे पर 500-600 रुपये का घाटा हो रहा है.


किसानों को मिले मुआवजा
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस ने सरकार से बार-बार जल्द खरीद शुरू करने की मांग की. कांग्रेस द्वारा कहा गया कि वक्त रहते तमाम तैयारियां को पूरा किया जाए और पोर्टल के जंजाल को खत्म करके जल्द से जल्द खरीद, उठान और पेमेंट होनी चाहिए, लेकिन सरकार ने जानबूझकर इन मांगों को नजर अंदाज किया, जिसका खामियाजा प्रदेशभर के किसानों को भुगतना पड़ रहा है. नेता प्रतिपक्ष हुड्डा ने सरकार से कपास की फसल में आई बीमारी का संज्ञान लेने की भी मांग की. उन्होंने कहा कि भिवानी, रोहतक, कैथल, फतेहाबाद, रेवाड़ी और सिरसा आदि जिलों में सुंडी के चलते प्रति एकड़ 5-6 क्विंटल का नुकसान हुआ है. सिरसा में 85 प्रतिशत कर फसल बर्बाद हो गई है. ज्यादातर जिलों में 50 प्रतिशत से ज्यादा का नुकसान है. ऐसे में सरकार को तुरंत गुलाबी सुंडी की रोकथाम के लिए विशेषज्ञों को फिल्ड में उतारना चाहिए. जिन किसानों की फसल बीमारी से प्रभावित हुई है, उसकी गिरदावरी करवाकर जल्द मुआवजा दिया जाए.