Property ID: हरियाणा सरकार पर कांग्रेस का तंज, कहा- रोम जल रहा है और नीरो हेलीकॉप्टर में घूम रहा है
Property ID Issue: प्रॉप्रटी आईडी के मुद्दे पर कांग्रेस ने हरियाणा सरकार पर हमला बोला. कांग्रेस नेता कुमारी सैलजा, रणदीप सुरजेवाला और किरण चौधरी ने कहा कि मनोहर लाल व दुष्यंत चौटाला अब रोम के शासक नीरो की भूमिका में हैं, जैसे कि जब रोम जल रहा था, तो नीरो बांसुरी बजा रहा था. अंतर केवल इतना है कि आज के हरियाणा के नीरो की ये जोड़ी हेलीकॉप्टर की सवारी कर रही है.
Haryana News: हरियाणा सरकार पर कुमारी सैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला और किरण चौधरी ने जमकर हमला बोला. कांग्रेस नेताओं ने सरकार पर प्रॉप्रटी आईडी सर्वे के मुद्दे पर कई आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि हरियाणा के 88 शहरों में 1 करोड़ से अधिक लोग अपनी प्रॉपर्टी आईडी सही कराने के लिए महीनों से परेशान हो रहे हैं. 88 शहरों के 1 करोड़ से अधिक नागरिकों की जिंदगी बिचौलियों, दलालों, और सरकारी अधिकारियों की रिश्वतखोरी की भेंट चढ़ी है. नगर निगमों, नगर परिषदों व नगर पालिकाओं में लोगों से हो रही खुली लूट व भ्रष्टाचार का आलम यह है कि खुद शहरी स्थानीय निकाय विभाग भी बेतहाशा रिश्वतखोरी व लूट-खसूट की बात को अपने औपचारिक पत्राचार में स्वीकार चुका है. हरियाणा की जनता भाजपा-जजपा सरकार को पानी पी-पीकर कोस रही है. लोग दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, पर उनकी न कोई सुनने वाला है और न ही कोई राहत देने वाला.
जयपुर में हुआ था एग्रीमेंट
उन्होंने कहा कि मनोहर लाल खट्टर व दुष्यंत चौटाला अब रोम के शासक नीरो की भूमिका में हैं, जैसे कि जब रोम जल रहा था, तो नीरो बांसुरी बजा रहा था. अंतर केवल इतना है कि आज के हरियाणा के नीरो की ये जोड़ी हेलीकॉप्टर की सवारी कर रही है, और लोग सड़कों पर छाती पीट रहे हैं. प्रॉपर्टी आईडी सर्वे के लिए 13 अगस्त, 2019 को डायरेक्टर, लोकल बॉडी व याशी कंसल्टिंग सर्विसेज प्राईवेट लिमिटेड के बीच जयपुर में लिखित एग्रीमेंट हुआ. एग्रीमेंट की क्लॉज 7.1 के मुताबिक यह काम 4 महीने यानि 12 दिसंबर 2019 तक पूरी होनी थी, लेकिन तीन साल से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी अधिकतर काम गलत व बोगस निकला. प्रदेश के 88 शहरों में 42.70 लाख प्रॉपर्टी का सर्वे किया गया, जिसमें 85 प्रतिशत सर्वे गलत निकला. खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 07 जुलाई 2023 को यह स्वीकारा कि प्रॉपर्टी आईडी सर्वे में 8 लाख गलतियां पकड़ी गईं हैं. साथ ही स्थानीय निकाय मंत्री डॉ. कमल गुप्ता ने 17 दिसंबर 2022 को यह स्वीकारा कि प्रॉपर्टी आईडी में 15.50 लाख गलतियां मिलीं. इसके विपरीत मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 7 जुलाई 2023 को यह कह दिया कि 8 लाख गलतियां मिलीं हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री और उनके मंत्री दोनों की बातें एक दूसरे से भिन्न हैं.
कंपनी पर उचित कार्रवाई नहीं हुई
बता दें कि एग्रीमेंट की क्लॉज 41.5 में साफ लिखा गया है कि अगर प्रॉपर्टी आईडी सर्वे में 10 प्रतिशत तक गलतियां पाई गईं, तो ठेकेदार कंपनी को दोगुना जुर्माना लगेगा. अगर प्रॉपर्टी आईडी सर्वे की गलतियां 10 प्रतिशत से 15 प्रतिशत होंगी, तो जुर्माना चार गुना होगा. इसके साथ ही अगर गलतियां 15 प्रतिशत से 20 प्रतिशत होंगी तो जुर्माना 8 गुना होगा और अगर गलतिया 20 प्रतिशत से अधिक होंगी, तो टेंडर कैंसल कर दिया जाएगा. प्रॉपर्टी आईडी सर्वे में याशी कंपनी द्वारा 85 प्रतिशत गलतियां होने के बावजूद न तो सरकार ने टेंडर कैंसल किया औ न ही किसी प्रकार का कोई जुर्माना लगाया गया और न ही कंपनी को ब्लैकलिस्ट किया गया.
कर्मचारियों ने निगरानी नहीं की
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि टेंडर एग्रीमेंट की क्लॉज़ 40.2.1 के मुताबिक पूरे प्रॉपर्टी आईडी सर्वे की लगातार निगरानी के लिए डायरेक्टर, लोकल बॉडीज की अध्यक्षता में 'प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग कमिटी' का गठन हुआ था, जिसे हर 15 दिन में प्रॉपर्टी आईडी सर्वे की दुरुस्ती के बारे जांच करनी थी और पूरे प्रोजेक्ट के वर्क शेड्यूल की मॉनिटरिंग की जिम्मेवारी भी थी. इसी प्रकार टेंडर एग्रीमेंट की क्लॉज 40.2.2 के मुताबिक, 'स्टीयरिंग कमिटी' का गठन भी हुआ था, जिसे प्रॉपर्टी आईडी प्रोजेक्ट के खत्म होने तक सारी जिम्मेवारी का निर्वहन करना था, लेकिन ऐसा कुछ नहीं किया गया.
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60 करोड़ किए पास
याशी कंपनी द्वारा किए गए प्रॉपर्टी आईडी सर्वे की रैंडम जांच करके नगर निगमों, नगर परिषदों व नगर पालिकाओं के अधिकारियों द्वारा प्रॉपर्टी आईडी सही होने का सर्टिफिकेट दिया गया व इसके आधार पर गुपचुप तरीके से सरकारी खजाने से ठेकेदार कंपनी को 60 करोड़ रु. का भुगतान भी हो गया. वहीं स्थानीय निकाय मंत्री कमल गुप्ता ने तो याशी कंपनी को क्लीनचिट देते हुए प्रॉपर्टी सर्वे की गड़बड़ियों का ठीकरा हरियाणा के कर्मचारियों पर फोड़ दिया.
FIR हो दर्ज
कांग्रेस ने मांग की है कि अगर प्रॉपर्टी आईडी सर्वे गलत है तो याशी कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर उस पर एफआईआर दर्ज होनी चाहिए थी तथा मिलीभगत करने वाले सभी अधिकारियों पर भी एफआईआर होनी चाहिएय. हिंदुस्तान के इतिहास में शायद यह पहला केस है, जहां खुद मंत्री ठेकेदार कंपनी को क्लीनचिट दे रहे हैं व ठेकेदार कंपनी की गलतियों का ठीकरा सरकारी कर्मचारियों पर फोड़ रहे हैं.
INPUT- Vijay Rana