सीएम मनोहर लाल बोले- खाद्यान्न ही औषधि धारणा अपनाने के लिए प्राकृतिक खेती एकमात्र रास्ता
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत बनाने की कड़ी में एक ओर पहल की. मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें खुशी है कि किसान अब प्राकृतिक खेती को समझने लगे है. कृषि विभाग द्वारा बनाए गए पोर्टल पर अब तक प्रदेश के 1253 किसानों ने स्वेच्छा से प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए पंजीकरण करवाया है.
कमरजीत सिंह/करनाल: हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत बनाने की कड़ी में एक ओर पहल की. प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए देसी गाय की खरीद पर 25 हजार रुपये तक की सब्सिडी देने और प्राकृतिक खेती के लिए जीवामृत का घोल तैयार करने के लिए 4 बड़े ड्रम किसानों को निशुल्क देने की घोषणा की. ऐसा करने वाला हरियाणा देश का पहला राज्य होगा.
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प्राकृतिक खेती को देंगे बढ़ावा
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्राकृतिक खेती का मूल उद्देश्य खान-पान को बदलना है. इसके लिए हमें खाद्यान्न ही औषधि की धारणा को अपनाना होगा. प्राकृतिक खेती ही इसका एकमात्र रास्ता है. प्रदेश की 50 हजार एकड़ भूमि में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा गया है. इसके बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए हर प्रखंड स्तर पर प्रदर्शनी फार्म में प्राकृतिक खेती की जाएगी. सीएम आज करनाल के डॉ. मंगलसैन ऑडिटोरियम हॉल में प्राकृतिक खेती पर आयोजित राज्यस्तरीय समीक्षा बैठक में मुख्यातिथि के रूप में बोल रहे थे. मुख्यमंत्री ने 20-22 कृषि विशेषज्ञों से सीधा संवाद किया और प्राकृतिक खेती को बढ़ाने के टिप्स दिए.
देसी गाय के लिए 50 % सब्सिडी
सीएम मनोहर लाल ने कहा कि स्वेच्छा से प्राकृतिक खेती अपनाने वाले पोर्टल पर रजिस्टर्ड 2 से 5 एकड़ भूमि वाले किसानों को देसी गाय खरीदने के लिए 50 % सब्सिडी दी जाएगी. सीएम ने केंद्र सरकार की कृषि तकनीक प्रबंधन एजेंसी (आत्मा) से जुड़े तकनीकी सहायक प्रबंधक, ब्लॉक तकनीकी सहायक प्रबंधक और उपस्थित किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि कृषि विभाग की आत्मा योजना सही मायने में रासायनिक खादों के अंधाधुंध उपयोगों से हमारे खेतों में पैदा हो रहे जहरीले खाद्यानों को ठीक करने के लिए एक आवाज है. उन्होंने कहा कि सिक्कम देश का पहला राज्य है जो पूरी तरह से प्राकृतिक खेती पर आ गया है. हिमाचल प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में भी काफी कार्य हो रहा है, अब हरियाणा सरकार नई पहल करते हुए देसी गाय की खरीद पर सब्सिडी देने का कार्य करेगी.
न तो जहर बोएंगे और न ही खाएंगे
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें खुशी है कि किसान अब प्राकृतिक खेती को समझने लगे है. कृषि विभाग द्वारा बनाए गए पोर्टल पर अब तक प्रदेश के 1253 किसानों ने स्वेच्छा से प्राकृतिक खेती अपनाने के लिए पंजीकरण करवाया है. सीएम ने कहा कि एक समय था, जब 1960 के दशक में देश में खाद्यानों की कमी हो गई थी. इसके लिए हरित क्रांति का आह्वान किया गया, जिसके चलते अंधाधुंध रासायनिक खादों का उपयोग हुआ और देश में अनाज के उत्पादन की कमी नहीं रही. अब रासायनिक खादों के प्रयोग से खेत भी जहरीले हो गए है और खाद्यानों का उत्पादन भी जहरीला हो गया है. हमें संकल्प लेना चाहिए कि न तो जहर बोएंगे और न ही जहर खाएंगे.
प्राकृतिक खेती स्वास्थ्य का विकल्प
सीएम ने कहा कि आज का विषय मन को छूने वाला है. वित्त मंत्री के रूप में जब वे विभिन्न विभागों के बजट की समीक्षा करते हैं तो कहीं न कहीं स्वास्थ्य विभाग के बजट आवंटन के समय उनकी सोच बदल जाती है. वे चाहते हैं कि अगर हमारा खान-पान ठीक होगा तो स्वास्थ्य विभाग को इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य दवाइयों के लिए ज्यादा बजट की जरूरत नहीं होगी. उन्होंने कहा कि अगर हम बीमार होते हैं तो औषधि लेने जाते हैं. अब प्राकृतिक खेती स्वास्थ्य के विकल्प के रूप में हमारे पास हैं, उसे जीवन में अपनाना हैं. प्राकृतिक खेती को अपनाने के लिए केंद्र से जो बजट मिलेगा, उससे ज्यादा हरियाणा सरकार भी देगी.
नहीं चाहते कि किसी भी कर्मचारी का वेतन देरी से आए
एटीएम और बीटीएम से सीधा संवाद करते हुए मुख्यमंत्री के समक्ष यह जानकारी आई कि पिछले 6-7 महीने से मासिक मानदेय नहीं मिला है. इस पर मुख्यमंत्री ने तत्काल वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को दूरभाष पर निर्देश दिए कि तुरंत प्रभाव से इनका मानदेय जारी कर दिया जाए. उन्होंने कहा कि वे नहीं चाहते कि किसी भी कर्मचारी का वेतन देरी से आए. यहां तक की गांव के चौंकीदार और सफाई कर्मचारी का वेतन भी हर महीने की 7 तारीख तक जारी कर दिया जाता है.
प्रजेंटेशन प्लांट लगाने के लिए बनेगा पोर्टल
कार्यक्रम के दौरान सीधे संवाद में सीएम मनोहर लाल ने कहा कि किसानों के लिए प्राकृतिक खेती का प्रजेंटेशन प्लांट लगाने के लिए पोर्टल बनाया जाएगा. इस पर किसान अपनी जमीन की पूरी जानकारी देने के साथ ही स्वेच्छा से उसे फसल विविधीकरण अपनाने के लिए जागरूक करेगा. इसके अलावा खाद्यान्न में दलहनी फसलें उगाने के बारे में भी जानकारी देगा. इस प्रकार विभाग के पास पूरी जानकारी होगी तो उसकी आसानी से मॉनिटरिंग की जा सकेगी. उन्होंने कहा कि किसानों को 20-25 के छोटे-छोटे समूह में प्रशिक्षण दिया जाए, ताकि वे अच्छी तरह से फसल उत्पादन के बारे जानकारी ले सकें. प्राकृतिक खेती के उत्पादों की पैकिंग सीधे किसान के खेतों से ही हो, ऐसी योजना भी तैयार की जाएगी ताकि बाजार में ग्राहकों को इस बात की शंका न रहे कि यह प्राकृतिक खेती का उत्पाद है या नहीं. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक उत्पादन की टेस्टिंग की जानकारी लेने के लिए बाजार में मंहगे उपकरण उपलब्ध हैं.
प्रगतिशील किसान अब प्रकृतिशील किसान
मुख्यमंत्री ने कहा कि हर ब्लॉक में एक प्रदर्शन प्लांट अवश्य बनाया जाए ताकि उस खंड के किसान उसका आसानी से लाभ उठा सकें. ब्लॉक स्तर पर 50 से ज्यादा प्रगतिशील किसान प्रशिक्षित किए जाएं. इस प्रकार प्रदेशभर में ज्यादा से ज्यादा प्रगतिशील किसान तैयार किए जा सकेंगे. उन्होंने कहा कि प्रगतिशील किसान अब कहलाएंगे प्रकृतिशील किसान, क्योंकि प्राकृतिक खेती प्रकृति के नियमों के अनुसार की जानी है, जिससे हम अतीत में दूर हो गए थे. उन्होंने गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत की सराहना की, जिन्होंने प्राकृतिक खेती का प्रारूप देश के प्रधानमंत्री के समक्ष रखा है. गुरुकुल कुरुक्षेत्र में प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण संस्थान के लिए जमीन उपलब्ध करवाई है. अब तक 232 एटीएम, बीटीएम और किसानों ने प्राकृतिक खेती का प्रशिक्षण लिया. अब ये लोग किसानों के पास जाकर योजनाओं के साथ प्राकृतिक खेती के लिए प्रशिक्षित करेंगे. उन्होंने कहा कि इसके लिए मैनपावर और बजट बढ़ाने की आवश्यकता हुई तो सरकार उसे पूरा करेगी.
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इधर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि मुख्यमंत्री सदैव किसान हित के बारे में सोचते हैं तथा किस प्रकार प्रदेश का किसान समृद्ध हो, सक्षम हो और आगे बढ़े. उन्होंने कहा कि पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने 700 कृषि विकास अधिकारियों के पदों को भरने की स्वीकृति प्रदान की है. शीघ्र ही भर्ती प्रक्रिया पूरी की जाएगी. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक विधि अपनाने से किसानों की आमदनी बढ़ेगी और लागत भी बहुत कम आएगी.